कांग्रेस शासित प्रदेशों में पुरानी पेंशन व्यवस्था को लागू करना सरकार के लिए आत्मघाती सिद्ध हो सकता है पेंशन के विषय में जो नई व्यवस्था लागू की गई थी वह काफी विचार-विमर्श और निर्धारित प्रक्रिया से काफी सोच समझ कर बनाई गई थी जिस पर तत समय पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी सहमत है और इस व्यवस्था को छोड़ पुरानी व्यवस्था में लौटने की बात करना राज्य सरकार के ऊपर आर्थिक बोझ स्वरूप होगा उक्त बयान 15वें वित्त आयोग के चेयरमैन एन के सिंह ने दिया
आईसीसी के कार्यक्रम में सम्मिलित होते हुए श्री सिंह ने कहा कि नई पेंशन योजना को व्यापक विचार-विमर्श के बाद अपनाया गया था कांग्रेस और आप जैसे राजनीतिक दल मतदाताओं से पुरानी पेंशन योजना लागू करने का वादा कर रहे हैं जो कि उनकी अपनी आर्थिक सेहत के लिए काफी घातक सिद्ध होगा उन्होंने कहा कि पिछली सरकार के दौरान इस पर बहुत सावधानी से चर्चा करके इसको लागू किया गया था पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी इसके पक्ष में थे श्री सिंह ने कहा कि मेरे सहयोगी मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने इस विषय पर विस्तार से टिप्पणी की है उनके अनुसार नई पेंशन योजना से पीछे हटना और पुरानी पेंशन योजना को अपनाना राज्य के लिए वित्तीय आपदा जैसा होगा कुछ राज्य जो इसे लागू कर रहे हैं वास्तव में वे प्रदेश की वित्तीय स्थिति को बड़ी कठिनाइयों और दबाव में डाल रहे हैं नई पेंशन योजना के पीछे ठोस आर्थिक तर्क है
आपको बताते चलें कि कांग्रेस शासित राज्यों में पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने की चर्चा जोरों पर है राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे कुछ राज्यों में कांग्रेस पहले ही पुरानी पेंशन योजना बाहर कर चुकी है और अभी हाल ही में हिमाचल प्रदेश में पार्टी को बहुमत मिला और कांग्रेस की सरकार बन चुकी है अब देखना यह होगा कि के कांग्रेस अपने चुनावी घोषणा पत्र में क्यों हुए बात को कितना पूरा करती है क्योंकि हिमाचल में चुनावी घोषणा पत्र के माध्यम से कांग्रेस ने पुरानी पेंशन योजना लागू करने का वादा किया था