October 22, 2024 |

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बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-5 के साथ 36 वा राफेल भी राष्ट्र को समर्पित

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बिग ब्रेकिंग:भारत चीन तनाव के बीच बड़ी खबर

भारत ने अपनी बहु प्रतीक्षित बैलेस्टिक मिसाईल अग्नि 5 का सफल परीक्षण किया है।
इसका इंतजार देश को लम्बे वक्त से था,
ओडिसा के तट से हुआ सफल परीक्षण, हमला करने में सक्षम अग्नि-5 की मारक क्षमता 5000 किलोमीटर है जिसके निशाने पर चीन के लगभग सभी प्रमुख शहर आते हैं देश की सुरक्षा में यह एक बड़ी उपलब्धि है भारत और चीन के विवाद को देखते हुए और राष्ट्र का मिसाइल व अन्य टेक्नोलॉजी में सक्षम होना बेहद जरूरी पड़ोसी मुल्कों की गुस्ताखी को देखते हुए भारत सरकार ने दुर्गम इलाकों तक सड़क सुरक्षा निर्माण संगठन के माध्यम से रसद ब सेनाओं का यातायात सुचारू रूप से दुरुस्त करने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित किया जा रहा है जिसकी वजह से हमारे सेना को अपने सीमावर्ती दुर्गम इलाकों तक निगरानी रखना आसान हो सकेगा यही कारण था कि 9 दिसंबर को अरुणाचल प्रदेश के तवांग इलाके में पी एल ए का मूवमेंट देखने के बाद भारतीय फौजी हरकत में आई और उन्होंने मुंहतोड़ जवाब देते हुए लगभग 300 चीनी सैनिकों को गणेश संघ कड़े संघर्ष के बाद बैरंग लौटा दिया सुरक्षा को और चाक-चौबंद करने के लिए भारत सरकार ने 36 राफेल लड़ाकू जेट का जो सौदा किया था वह भी राष्ट्र को समर्पित किया जा चुका है कल 36 में राफेल भारत की धरती पर उतरा जिससे सीना को जल्द से जल्द राफेल समर्पित किया जा सके सीमावर्ती इलाकों में भारत chin के बीच तनाव को देखते हुए सरकार का यह कदम बेहद जरूरी था

भारत और चीन की सीमाएं 3488 किलोमीटर में फैली है यह जम्मू कश्मीर के लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखण्ड सिक्क्म, अरुणांचल प्रदेश से होकर गुजरती है जिसमे बीस हजार फ़ीट की उचाई में हिमालय की दुर्गम चोटियों से लेकर पैग़गोक की नीली झील के बीचों बीच सतह भी शामिल है जो तीन सेक्टरों में बटीं हुयी है पश्चिमी सेक्टर अर्थात जम्मू कश्मीर मिडिल सेक्टर यानी हिमाचल प्रदेश तथा उत्तराखण्ड  और पूर्वी सेक्टर अर्थात सिक्किम तथा अरुणांचल प्रदेश इन सभी सेक्टर में पड़ने बाली सीमा रेखा को एल ए सी (line of actual control) एल ओ सी (line of control) आई बी (international border) कहते है दरअसल भारत चीन के बीच मैक मोहन लाइन को छोड़ कर कोई भौतिक निशान नहीं है केवल प्राकृतिक संसाधनों से दो देशों की सीमा को पहचाना जा सकता है और इसी चीज का फायदा विस्तारवादी देश ने समय समय पर भ्रम व तनाव की स्थिति उत्पन्न करके उठाया है आजादी के बाद से भारत की सीमाओं का अतिक्रमण कर चीनी सेनाओं की घुसपैठ ”नो मेन्स लैण्ड ”पर होती रही है और जब  भारतीय फौज पेट्रोलिंग या गश्त के लिए उन क्ष्रत्रों में आती है तब वह वापस पीछे हट जाते है लेकिन पीछे हटने से पहले अस्थाई बंकर तथा खाद्द्य सामिग्री के रैपर आदि सबूत के तोर पर छोड़ देते है और वही छोड़ी हुई चीजे दिखा कर भारतीय सेना के गश्ती दल पर आरोप मढ़ते है कि उन्होंने सीमा का उल्लंघन किया है सोची समझी रणनिति के तहत चीन बेबुनियाद बातो से पहले तनाव उत्पन्न करता है फिर सैन्य स्तरीय वार्ताओं के क्रम में पहले कैप्टेन और फिर मेजर की फ्लैग मीटिंग से तनाव कम करने का डोंग रचता है


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