November 22, 2024 |

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उत्तर प्रदेश की सेहत सुधारने के लिए सरकार पीपीपी मॉडल पर मेडिकल कॉलेज खोलने की तैयारी में

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अभी बात ज्यादा पुरानी नहीं है उत्तर प्रदेश की सत्ता में वापसी करने वाली भाजपा सरकार ने ठीक चुनाव से पहले 24 करोड़ की आबादी वाली राज्य में घोषणा की थी कि हर जनपद में मेडिकल कॉलेज बनाया जाएग और इस पर पिछली योगी सरकार ने कार्य भी शुरू कर दिया था पहले चरण में 39 मेडिकल कॉलेजों को मंजूरी दी गई फिर बाद में यह आंकड़ा 58 हो गया हालांकि ज्यादातर मेडिकल कॉलेजों के निर्माणाधीन रहते वही चुनावी कवरेज लेने के लिए पिछली सरकार ने मेडिकल कॉलेजों का उद्घाटन तक कर डाला जिसको की विपक्षी पार्टियों ने जमकर मुद्दा बनाया लेकिन सरकार चुनाव से पहले किए गए अपने वादे को भूल ही नहीं है जल्दी 6 जिलों में मेडिकल कॉलेज खोलने के लिए निजी संस्थाओं के टेंडर आमंत्रित किए जाएंगे सार्वजनिक निजी सहभागिता मॉडल पर यह मेडिकल कॉलेज खोले जाएंगे जिसके लिए केंद्र की मोदी सरकार ने बीते सितंबर माह में 1012 करोड़ की आर्थिक मदद करने की मंजूरी दे दी है इस पर 1525 करोड रुपए खर्च होनी है बाकी रकम निजी संस्थाएं खर्च करेगी जिन्हें 33 साल के लिए जिला अस्पताल में उसकी जमीन लीज पर दी जाएगी

प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा आलोक कुमार ने बताया कि मैनपुरी महोबा बागपत हमीरपुर हाथरस और कासगंज उत्तर प्रदेश के इन 6 जनपदों में पीपीपी मॉडल पर आधारित नए मेडिकल कॉलेज खोलने की तैयारियां तेजी पर की जा रही है जल्द ही निजी संस्थाओं को इसके लिए आमंत्रित किया जाएगा कैबिनेट की मंजूरी के बाद विभाग ने कार्यवाही तेज कर दी है

आपको बताते चलें कि उत्तर प्रदेश की डबल इंजन वाली योगी सरकार ने देश की जीडीपी बढ़ाने के लिए भले ही बड़ा योगदान दिया हो लेकिन स्वास्थ्य के मामले में प्रदेश की हालत खराब है वह निचले पायदान पर खिसक चुका है इसका कारण है प्रति व्यक्ति स्वास्थ्य पर कम खर्च और डॉक्टरों की कमी तथा अनट्रेंड नर्सिंग स्टॉप प्रदेश की खराब स्वास्थ्य के प्रमुख कारण है अभी हाल ही में प्रकाशित नीति आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में स्वास्थ्य के मामले में उत्तरप्रदेश सबसे निचले पायदान पर है जबकि केरल इस मामले में सबसे ऊपर है प्रदेश की यूपी सरकार का कहना है कि आजादी के बाद से 2016 तक प्रदेश में केवल 12 राजकीय मेडिकल कॉलेज थे 32 मेडिकल कॉलेजों को 2016 के बाद बनाया गया 59 राजकीय मेडिकल कॉलेज प्रदेश सरकार ने द्वारा सत्ता संभालने से पूर्व ही तैयार करवा लिए थे और अभी चेन्नई पीपीपी मॉडल पर मेडिकल कॉलेज को बनाने की मंजूरी कैबिनेट ने दे दी है इस प्रकार उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 75 जनपदों में मेडिकल कॉलेज का निर्माण किया जाएगा

मेडिकल प्रवेश परीक्षा neet-ug क अनुसार देश में कुल 91927 डॉक्टर बनने के लिए एमबीबीएस में दाखिला लेते हैं इसमें सरकारी व निजी दोनों संस्थानों की सीटें शामिल है जिसमें उत्तर प्रदेश की बात करें तो 4303 सरकारी मेडिकल कॉलेजेस की सीट और 4750 निजी संस्थानों के मेडिकल कॉलेज की सीट है कुल मिलाकर प्रदेश में डॉक्टर बनने वालों का आंकड़ा प्रतिवर्ष 10000 के नीचे ही रहता है जबकि जरूरत कहीं ज्यादा होती है विश्व स्वास्थ्य संगठन की माने तो करीब 1000 मरीजों पर एक डॉक्टर की आवश्यकता होती है इस लिहाज से 24 करोड़ की आबादी वाले  राज्य में प्रतिवर्ष पास करने वाले डॉक्टरों की संख्या का काफी कम है डेंगू मलेरिया वायरल चिकनगुनिया मस्तिष्क ज्वर सहित प्रदेश में हर वर्ष तमाम बीमारियों का संक्रमण तेजी से होता है इतनी बड़ी आबादी को इन संक्रमण बीमारियों से बचाने के लिए स्वास्थ्य विभाग में उपलब्ध संसाधन स्टाफ डॉक्टर पर्याप्त नहीं कहीं जा सकते हैं लिहाजा इस दिशा में प्रदेश सरकार को तेजी  से कार्य करने की आवश्यकता है


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