December 3, 2024 |

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विश्व को कोरोनावायरस देने वाली चीन की बाजारवाद की नीतियां मानवता के लिए खतरा

कोरोनावायरस से फैली भयानक तबाही एवं उससे उत्पन्न खतरों पर समूचे मानवतावाद के आधार पर मीडिया विद यू की चिन्हित करती एक रिपोर्ट

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जितेंद्र गुप्ता ( चीफ एडिटर मीडिया विद यू)
जितेंद्र गुप्ता ( चीफ एडिटर मीडिया विद यू)

”कोरोना” ऐसा वायरस जिसने २०२० की आधुनिक उन्नत अणु परमाणु व मंगलयान से सम्पन्न सभ्यता को घुटने के बल खड़ा कर दिया है आज विश्व जगत में ज्ञान विज्ञानं का दम्भ भरने बाले सुपर सोनिक मिशायल सम्पन राष्ट्र भी ”कोविड़-19 ”से बुरी तरह पीड़ित है कारण नोबल कोरोना वायरस का कोई एंटीडोज अर्थात उपचार हमारे पास मौजूद नहीं है इसलिए यह बीमारी महामारी की तरह एक राष्ट्र से दूसरे राष्ट्र और दूसरे राष्ट्र तीसरे राष्ट्र में फैलती जारही है
दिसम्बर सन 2019 में चीन के बुहान शहर से इस लाइलाज बीमारी का पता तब चला जब इसी शहर के ”सी मार्केट ”से किसी गोस्त विक्रेता में इसके लक्षण पाए गये तब चीन को सर्वप्रथम इस नये प्रकार के वायरस के विषय में पता चला माना जा रहा है कि करीब दस किलोमीटर दूर स्थित वुहान शहर की ”बायोलॉजिकल रिसर्च लैब”से वायरस का संक्रमण हुआ था लगभग पांच दशक पहले ही हमारे जीव जगत के वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस व इससे होने बाली बीमारी तथा इलाज के विषय में पता लगा लिया और तभी से कोरोना पर हो रहे शोधों प्रेक्षणों के आधार पर यह बात स्पष्ट हो चुकी थी कि कोरोना वायरस जानवरो में पाए जाने बाला वायरस है जो उनमे होने बाली फ्लू आदि बीमारी के लिए जिम्मेदार होता है यह घातक तब होता है जब जानवरो से मानवो में भिन्न भिन्न माध्यमों से पहुंचता है जिसमे मांसाहार एक प्रमुख माध्यम है अब तमाम शोधों एवं अन्वेक्षणों के माध्यम से यह बात भी स्पष्ट हो चुकी थी कि समय के साथ साथ वायरस अपने आप को विकसित करता रहता है यही कारण है कि लगभग एक दशक पहले दुनियां के तमाम देशो में तबाही मचा चुके” मेर्स, सार्स,अल्फ़ा कोविड बीटा कोविड”आदि बीमारी इसी प्रक्रिया का परिणाम थी मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिड्रोम जिसको (MERS) और सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम ( SARS) तथा सार्स-2 (SARS) कहते है जो की कोरोना वायरस से जनित बीमारी है इसी प्रकार ओरथन कोरोना वायरस (orthen corona virus”oc43”) तथा ह्यूमन कोरोना वायरस(बीटा कोविड ) व ह्यूमन कोरोना वायरस ”NL63”(अल्फ़ा कोविड )इत्यादि कोरोना वायरस की निरंतर विकसित हो रही प्रजाती का परिणाम है और तभी से दुनियां भर के तमाम देशो ने कोरोना वायरस की भयाभवता तथा इसकी निरन्तर विकसित हो रही प्रजाति से मानव जाति को बचाने के लिए प्रयोगो अन्वेक्षणो को प्रगतिशील बनाये रखा और शायद यही वजह है कि कोरोना पर शीघ्र अतिशीघ्र विजय पा लेने की चाहत ने राष्ट्रों को एक दूसरे के प्रति प्रतिस्पर्धात्मक बना दिया चीन के बुहान लैब से संक्रमण इसी गलाकाट प्रतिद्वन्धात्मक शैली का परिणाम है सन 2019 दिसंबर में बुहान शहर के लोगो में जो निमोनिया पाया गया वह साधारण निमोनिया से अलग था जिस पर निमोनिया की दवाइयाँ भी असर नहीं कर रही थी ऐसे में विश्वस्वास्थ्य संगठन व उससे जुड़े वैज्ञानिकों ने इस लाईलाज हो चुकी बीमारी को कोविड-19 तथा इसके जिम्मेदार वायरस को ”कोरोना वायरस ”नाम दिया सर्वसमर्थ होने के अपने भ्रामक आडंबर एवं बाजारवाद की भूख ने ”पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ़ चाइना”अर्थात चीन ने लाईलाज हो चुकी इस संक्रमित बीमारी को अन्य देश व दुनियां से छिपा कर रखा जिसका परिणाम आज पूरा विश्व भुगत रहा है जिसमे विश्व स्वास्थ्य संगठन भी समय रहते कोई चेतावनी देने में पूरी तरह नाकाम रहा है

कोरोना वायरस एक प्रकार की RNA संरचना है जो लिपिड व स्पाइक प्रोटीन से बनी सूक्ष्म से सूक्ष्म अनिश्चित आकर में होती है खाँसते व छीकते वक्त उत्पन्न हुयी ड्रॉप्लेट्स में करोड़ो करोड़ वायरस शरीर से निकल कर दूसरे व्यक्ति के शरीर को संक्रमित कर देते है और वह संक्रमित व्यक्ति विभिन्न माध्यमों से वायरस के संक्रमण को आगे बढ़ाता रहता है जीव वैज्ञानिको की ताजा रिसर्च के अनुसार कोरोना वायरस नॉन लिविंग थिंग्स की सतह पर कुछ ही घंटों या समयावधि तक जीवित रह सकता है अब यदि इसी समयावधि में कोई लिविंग थिंग्स उसके सम्पर्क में आ जाती है तो यह वायरस उस जीवित शरीर से एक निश्चित समयांतराल में पोषण प्राप्त करके उसको संक्रमित कर देता है एक प्रकार से वह मानव शरीर को होस्ट, कैरियर बना लेता है और इस प्रकार वायरस का संक्रमण एक से दूसरे व दूसरे से तीसरे ,चौथे में श्रृंखलावध्द तरह से फैलता रहता है इसी श्रृंखला को तोड़ने के लिए लाँकडाउन अर्थात तालाबंदी एक वेहतर उपाय के रूप में सामने आया लेकिन तव तक बहुत देर हो चुकी थी विश्व के अधिकतम देश वायरस की चपेट में आ चुके थे

अब यह बात अधिकांश देशों की समझ में आ चुकी थी कि वायरस का संक्रमण समानान्तर रूप से उन देशो में भी हो रहा था जो वातावरण व तापमान की दृष्टि से विषमता रखते है जबकि प्राकृतिक वायरस अपने अनुकूल वातावरण में विकसित होता है विपरीत वातावरण में उसके विकसित होने की क्षमता नहीं होती है अतः कोरोना वायरस प्राकृतिक नहीं अपितु कलुषित मानसिकता व उद्देश्य से किये गए प्रयोगो का परिणाम है और चीन की बाजारवाद की भूख ने वुहान शहर की लाइलाज हो चुकी बीमारी को विश्वजगत से छिपा कर रखा ताकि यूरोप व एशिया के बाजारों में खपत होने बाले चीनी सामान पर किसी प्रकार का विपरीत असर न पड़े और उसका निर्यात निर्वाद रूप से जारी रह सके हुआ भी यही जिस चीन के वुहान शहर को कोरोना वायरस के उद्गम स्थल के रूप में जानते थे उसकी परिधि में आज विश्व के लगभग दो सौ छोटे बड़े देश है कारण विश्व बाजार तक चीन का सीधा सम्पर्क होना जब चीन इस बीमारी से जूझ रहा था तब अधिकांश देशो द्वारा पीड़ित देश समझ कर सहानभूति पूर्वक सुरक्षा उपकरण मेडिकल किट सहित तमाम सामिग्री उपलब्ध कराई यह गौर करने बाली बात है की ज्यादातर वही देश थे जिनके व्यापारिक सम्वन्ध चीन से प्रगाढ़ थे लेकिन जब वहीं देश कोरोना संकट से पीड़ित हुए तब उनको चिकित्सीय उपकरण व चिकित्सीय सामिग्री की मनमानी कीमत वसूल की गयी वावजूद इसके चीनी सामान को गुणवत्ता की कसौटी पर खरा नहीं पाया गया जिससे यूरोपियन देशो में संक्रमण को मदद मिली ऑस्ट्रेलिया इटली स्पेन फ्रांस ब्रिटेन एवं भारत सहित तमाम देशों ने कटु आलोचना करते हुए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की और भविष्य में चीन के साथ व्यापार की नीतियों में बदलाब के संकेत दिए कुल मिलाकर आज विश्व में 50 लाख से ज्यादा आबादी कोरोना संक्रमित और लगभग दो सौ से ज्यादा देश पीड़ित है अधिकांश लॉकडाउन अर्थात कारोबार व वाणिज्यिक गतिविधियों सहित आदि गतिविधियां बंद है वायरस से बचने के लिए किये जा रहे संसाधन चिकित्सा सुविधा एवं अपने नागरिकों को जरूरत व् रोज मर्रा की वस्तुओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु विस्तृत कार्ययोजना का निर्माण किये जा रहे है जिसकी वजह से अधिकांश देश आर्थिक संकट की मार झेलने की कगार पर खड़े है विकसित व विकासशील दोनों प्रकार के देशों की अपनी अपनी समस्यायें एवं जटिलताये है जहां एक तरफ विकासशील देश खादान्न सामिग्री भुखमरी चिकित्सा स्वास्थ्य रोजगार की समस्यायों से जूझते नजर आएंगे वहीं दूसरी तरफ विकसित देश अपनी बादशाहत को पुनः स्थापित करने के लिए व्यापारिक गतिविधियों चिकित्सा अनुसंधान स्वास्थ्य रक्षा सहित तमाम चिनोतियों का सामना करने के साथ साथ भुखमरी बेरोजगारी महामारी एवं आतंकवाद जैसी जटिल समस्यायों से पीड़ित देशो की भी सुरक्षा का दायित्व लेना पड़ेगा

भविष्य में इस भूमंडल का भूगोल इस बात पर निर्भर करेगा कि वायरस या इसके जैसे और भी रासायनिक जैविक हथियारों से निबटने के लिए हम कितने सक्षम है लेकिन यहां एक बात तो स्पष्ट है कि कोविड-19 के बाद विश्व समुदाय दो पक्षों में बटा दिखाई दे रहा है एक पक्ष जो कोरोना वायरस को चीन की कुटिल असंम्वेंदनशील मानवीय हरकत मानता है और दूसरा पक्ष ,जो चीन के आर्थिक बोझ अर्थात कूटरचित मेहरबानियों से दबा है लेकिन यहां रूस सरीखे सक्षम राष्ट्रों का चीन का पक्ष लेना अंतर्राष्ट्रीय समीकरण का दवाव ही कहा जायेगा फिर भी जो पक्ष चीन को कोरोना वायरस के लिए उत्तरदायी मानता है उसके अपने अपने तर्क व आधार है ब्रिटेन अमेरिका फ़्रांस इजरायल ऑस्ट्रेलिया मुखर हो कर घोषणा कर चुके है कि ड्रेगन को इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी चीन को उत्तरदायी मानने के पर्याप्त आधार भी है कोविड-19 बुहान शहर से निकल कर देश दुनियां के कोने कोने में समान रूप से फैल गया जबकि चीन के कई दूसरे औधयोगिक शहर संक्रमणकाल से न केवल बचे रहे बल्कि उनमे वाणिज्यिक गतिविधियां भी निरन्त चलती रही और मार्च 2020 आते आते तो बुहान शहर को भी कोरोना मुक्त करार दे दिया गया जबकि विश्व के अनेक राष्ट्र मार्च में इस महामारी के कारण घुटनो पर आ गये आर्थिक गतिविधियां शिथिल पड़ गयी महानगरों तथा कई राष्ट्रों को लॉकडाउन में जाना पड़ा फिर भी संक्रमण कई लाख व्यक्तियों तक पहुंच गया ऐसे में अमानवीयता का परिचय देते हुए ड्रेगन द्वारा आर्थिक मंंदी से गुजर रहे देशों की व्यापारिक इकाइयों में अर्थ के बल पर अपनी हिस्सेदारी भढ़ाने के कुत्सित प्रयास उसकी सोची समझी रणनिति का हिस्सा तो नहीं है अमेरिका ने चीनी वायरस कह कर बार बार इसारा भी किया है

कोरोना वायरस के संक्रमण पर चीनी सरकार को दिसंबर 2019 में सचेत करने बाले बुहान के डॉक्टर पेनलियांग को नजरबन्द करके गायब कर दिया गया और फिर संदिग्ध परिस्थितियों में उनका मृत पाया जाना तथा उनके द्वारा वायरस के संक्रमण व् आर्थिक मन्दी की चपेट में अन्य देशों के आने की चेतावनी को चीनी सरकार द्वारा नजर अंदाज करके तथा बुहान के संक्रमण व मौत के वास्तविक आकड़ों को छिपाना एवं चीनी सरकार के आकङों को झुठलाती चीनी नागरिक फैग फ़ेग की” बुहान डायरी इत्यादि कई सबूत ड्रेगन के अंतर्राष्ट्रीय षड़यंत्र बताने के लिए पर्याप्त है और सन 2018 के नोबल पुरस्कार विजेता जापान के वैज्ञानिक ”टसुकू होन्जो ”ने चीन में लगातार कई वर्षो तक शोध कार्य किया है उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय षड्यंत्र से पर्दा उठाते हुये नोबल कोरोना वायरस को लैब में उतपन्न मानव जनित वायरस बताया है तथा यह दावा किया कि प्राकृतिक वायरस गर्म व ठन्डे दोनों प्रकार के वातावरण में समान रूप से नहीं संक्रमित हो सकता है

विश्व में दावों प्रतिदावों के बीच कोविड 19 के इलाज को ले कर कुछ अच्छी खबर भी आ रही है प्लाज्मा थैरेपि व हाइड्रोक्लोरोक्वीन से भारत में स्वस्थ्य हो रहे मरीजों का प्रतिशत एक चौथाई से ज्यादा है वहीं संक्रमण फैलने की दर भी सरकारों की सूझ बुझ व इच्छाशक्ति से भरे निर्णयों एवं सामूहिक प्रयासों से शिथिल पड़ी है लेकिन फिर भी चिनोतियाँ कम नहीं है देश में पलायन कर वापस अपने गाँव जा रहे असंगठित क्षेत्र के प्रवासी अप्रवासी मजदूरों की बहुत बड़ी संख्या को उनके स्थान तक सुरक्षित पहुँचाना तथा उनको भुखमरी एवं संक्रमण से बचाने के साथ साथ रोजगार सृजन जैसे दुष्कर कार्य किसी भी सरकार के लिए जनसहभागिता के बगेहर असंभव है विश्व की सबसे बड़ी जनसंख्या को एक साथ सम्पूर्ण लॉकडाउन के सहासिक निर्णय बाले देश भारत की सरकार ने त्रासदी से बचने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाये आवश्यक खाद्यान्न सामग्री एवं फल सब्जी दबाइयों की आपूर्ती लॉकडाउन के दौरान सम्पूर्ण देश में सुनिश्चित करना जनधन खातों में आर्थिक मदद ,वृध्दा एवं विधवा पेंशन ,किसानो को आर्थिक सहायता पंजीकृत असंगठित क्षेत्रों के मजदूरों दिहाड़ी मजदूरों रेहड़ी ठेले फेरी बालो को आर्थिक सहायता उज्ज्वला योजना का समुचित लाभ पत्रों तक पहुंचाना दिहाड़ी मजदूरों व विस्थापितों को राशन तथा आवश्यक सामिग्री वितरण करना राज्य सरकारों द्वारा कम्युनिटी किचिन आंगनवाणी मनरेगा ,मिडडेमील द्वारा भोजन का वितरण सरकारी कर्मचारियों का समय पर वेतन भुगतान आदि सराहनीय कार्य भी देश की जनसंख्या सैलाब के आगे नाकाफी सिध्द हो रहे है इन सब के बीच सरकार और विपक्ष में खींच तान आरोप प्रतिआरोप राजनीती भी चरम पर है अब देखना यह है कि प्रधानमंत्री मोदी द्वारा की गयी अब तक की सबसे बड़ी आर्थिक पैकेज की घोषणा 20 लाख करोड़ को निति आयोग व वित्त मंत्रालय किसप्रकार अमली जामा पहनाते है

जितेन्द्र गुप्ता1


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