December 12, 2024 |

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प्रदेश के किले, राजमहल और कोठियों को पर्यटकों के अनुकूल बनाने पर जोर-जयवीर सिंह

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लखनऊ : 07 दिसम्बर, 2024 उत्तर पर्यटन विभाग की ओर से शनिवार को राजधानी लखनऊ के होटल ताज में ’हेरिटेज कॉन्क्लेव’ का आयोजन किया गया। इसका उद्देश्य राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और स्थापत्य विरासत को संरक्षित करने के साथ बढ़ावा देना रहा। यह आयोजन राज्य के पर्यटन विकास में धरोहरों की महत्ता को बढ़ावा देने के लिए मंच प्रदान करना था।

लखनऊ से बाहर होने के कारण पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री  जयवीर सिंह ने भेजे गये अपने एक संदेश में कहा है कि उत्तर प्रदेश भारत की हृदय स्थली है। यह राज्य अपने ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहरों के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है। प्रदेश की भूमि महान ऐतिहासिक घटनाओं, सभ्यताओं और परंपराओं की साक्षी रही है। प्रदेशभर के विभिन्न जनपदों में किले, कोठी और पैलेस हैं, जो स्वयं में अनगिनत कहानियां समेटे हैं। इन्हीं धरोहरों को सहेजने और उपयोगी बनाने के लिए ’हेरिटेज कॉन्क्लेव’ का आयोजन किया गया। हमें पूर्ण विश्वास है कि कान्क्लेव का सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेगा और उत्तर प्रदेश विरासत पर्यटन में भी महत्वपूर्ण गंतव्य स्थल बनेगा।

हेरिटेज कॉन्क्लेव में नीमराना होटल्स, ऋषि पुरी (हेरिटेज टूरिज्म एक्सपर्ट), एमआरएस ग्रुप जैसलमेर ने अपना प्रस्तुतीकरण दिया। एक विशेष सत्र में होटल व्यवसायियों और हेरिटेज प्रॉपर्टी मालिकों के बीच संवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें सभी पक्षों ने खुलकर अपनी बात रखी। कॉन्क्लेव के अंत में निदेशक पर्यटन प्रखर मिश्रा ने आमंत्रित अतिथियों को धन्यवाद ज्ञापित किया।

कार्यक्रम में मुख्य उपस्थिति प्रमुख सचिव पर्यटन एवं संस्कृति उप्र. मुकेश कुमार मेश्राम, विशेष सचिव ईशा प्रिया, निदेशक पर्यटन प्रखर मिश्रा के साथ-साथ 52 राज घरानों के वंशज और प्रसिद्ध होटल मालिकों, इन्वेस्टर्स, रियल स्टेट व्यवसायी, कंसल्टेंट आदि की रही। उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग द्वारा आयोजित ’हेरिटेज कॉन्क्लेव’ का उद्देश्य राज्य में हेरिटेज टूरिज्म की संभावनाएं तलाशना रहा। गौरतलब है कि, उत्तर प्रदेश में बड़ी संख्या में किले, राजमहल और कोठियां हैं। विभाग का प्रयास इन्हें उपयोगी बनाकर पर्यटकों को आकर्षित करना है।

’हेरिटेज कॉन्क्लेव’ को संबोधित करते हुए प्रमुख सचिव पर्यटन एवं संस्कृति उप्र. मुकेश कुमार मेश्राम ने कहा, ’पर्यटन विकास में हेरिटेज की भूमिका बहुआयामी है। यह न केवल क्षेत्र की संस्कृति और इतिहास को सहेजता है, बल्कि आर्थिक और सामाजिक विकास का भी आधार बनता है। उन्होंने कहा, उत्तर प्रदेश के हर हिस्से का अपना महत्व है। भगवान बुद्ध के 6 महत्वपूर्ण स्थल राज्य में हैं, जहां बड़ी संख्या में देशी-विदेशी श्रद्धालु और पर्यटक आते हैं। सबसे पुराने किलों में से एक चुनारगढ़ का किला यहीं है।’

मुकेश मेश्राम बोले, ’हमारे इस कार्यक्रम का उद्देश्य उत्तर प्रदेश टूरिज्म पॉलिसी का लाभ उठाते हुए अच्छे प्रस्तावों को अमलीजामा पहनाना है। मुख्यमंत्री जी के मार्गदर्शन में प्रदेश में हेरिटेज टूरिज्म को शिखर तक ले जाना है। उन्होंने कहा, हमारी कोशिश है, कि राजघरानों के धरोहरों पीपीपी मॉडल के तहत विकसित किया जाए। इन्वेस्टर्स भी राय देंगे। उन्होंने कहा, हेरिटेज स्थलों के आसपास कनेक्टिविटी देने के लिए तैयार हैं। सड़क मार्ग, वायु मार्ग, एप्रोच रोड सहित अन्य सुविधाएं या मदद के लिए प्रदेश सरकार आपके साथ खड़ी है। बुंदेलखंड के विकास के लिए हम प्रयासरत हैं। उन्होंने कहा, उत्तर प्रदेश इको टूरिज्म डेवलपमेंट बोर्ड बहुत अच्छा काम कर रहा है। हाल ही में लखनऊ से दुधवा के लिए हेली सर्विस की शुरुआत हुई है। चित्रकूट में एयरपोर्ट बने हैं। कई अन्य जगहों पर हवाई सेवा के लिए भूमि अधिग्रहण किया है। निवेशकों के सुविधानुसार हेली सर्विस का विस्तार किया जाएगा। हमारा मूलमंत्र ’यूपी नहीं देखा तो दुनिया नहीं देखा’ बनाना है।’

उप्र. पर्यटन विभाग की विशेष सचिव ईशा प्रिया ने ’हेरिटेज कॉन्क्लेव’ में स्वागत भाषण के बाद हेरिटेज पॉलिसी पर प्रस्तुतीकरण दिया। अपने संबोधन में उन्होंने कहा, पर्यटन विभाग ’विकास भी, विरासत भी’ के मूलमंत्र को आगे बढ़ा रही है। उत्तर प्रदेश आने वाले पर्यटकों की रुचि धार्मिक, सांस्कृतिक, आध्यात्मिक पर्यटन के साथ टाइगर रिजर्व, वाइल्ड लाइफ सेंचुरी में बढ़ती नजर आ रही है। राम और कृष्ण की भूमि उत्तर प्रदेश में अब हेरिटेज टूरिज्म विकसित करने का हमारा प्रयास है। पीपीपी मॉडल के तहत आगे बढ़ रहे हैं। प्रदेश के हेरिटेज प्लेसेज, किले, हवेलियां, हॉन्टेड प्लेसेज, कोठी आदि धरोहरों को विकसित करने के लिए यूपी टूरिज्म की सुविधाजनक नीतियां हैं, जो विकास का आधार बनेगी। उन्होंने कहा, प्रॉपर्टी, बिजली बिल सहित अन्य पर भी रियायतों का प्रावधान है।

ईशा प्रिया ने आमंत्रित अतिथियों का आभार व्यक्त किया। साथ ही, कहा कि हेरिटेज होटल, यात्री निवास, कल्चरल-वेलनेस सेंटर, विवाह भवन आदि के रूप में धरोहरों का इस्तेमाल किया जा सकता है। पर्यटकों के आगमन से ओडीओपी के जरिए स्थानीय समुदायों को भी रोजगार मिलेगा। उनके उत्पाद की पहुंच देश-दुनिया तक होगी।’

निदेशक पर्यटन प्रखर मिश्रा ने एक प्रस्तुतीकरण के माध्यम से उत्तर प्रदेश में हेरिटेज टूरिज्म की संभावनाओं पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने इस क्षेत्र के विकास के लिए निजी-प्राइवेट हेरिटेज से संबंधित लोगों, होटल मालिकों, विशेषज्ञों को आगे आने की बात कही। उन्होंने कहा, यूपी की धरोहर को धरोहर के रूप में ही विकसित करना है। सरकारी सहायता के लिए पर्यटन विभाग हर कदम खड़ा है।’

प्रखर मिश्रा बोले, ’बुन्देलखंड में हेरिटेज टूरिज्म की अपार संभावनाएं हैं। टहरौली फोर्ट और रघुनाथ राव महल झांसी को विकसित करने का प्रयास है। वर्ष 2023 के आंकड़ों की मानें तो एक करोड़ पर्यटक अकेले झांसी आए थे। झांसी में वाटर स्पोर्ट्स, एडवेंचर टूरिज्म सहित अन्य संभावनाएं हैं। इसी प्रकार, ललितपुर स्थित तालबेहट का किला, महोबा में मस्तानी महल, सेनापति महल, कोठी तालाब, कालिंजर का किला, भूरागढ़ किला बांदा आदि को विकसित करने की योजना है। इसी तरह, धार्मिक नगरी मथुरा के सीताराम महल, आगरा के कम चर्चित किलों को भी विकसित करने का प्रयास है ताकि आगरा-दिल्ली से आने वाले पर्यटक यहां ठहरें। इसी कड़ी में लखनऊ की गुलिस्तां-ए-इरम एंड दर्शन विला, आलमबाग के प्राचीन स्थल तथा कानपुर के टिकैत राय बारादरी आदि से जुड़ी संभावनाएं भी तलाशी जा रही हैं। इसके लिए इच्छुक इन्वेस्टर्स, होटल कंपनी आदि आगे आएं।’

फिल्म निर्देशक मुज़फ्फर अली ने फिल्मों के जरिये उत्तर प्रदेश के हेरिटेज को दुनिया के सामने लाने पर बल दिया। अपनी विख्यात फिल्म उमराव जान का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया, कि ’उसकी अधिकांश शूटिंग लखनऊ के अलग-अलग हिस्सों में ही हुई थी। इस फिल्म के जरिये उन्होंने लखनवी तहजीब को भी दुनिया के सामने प्रस्तुत किया था।’


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