November 2, 2025 |

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टेंडर में गड़बड़ी व भ्रष्टाचार के आरोप में कन्नौज सीएमओ की होगी जांच

डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव को दिए निर्देश

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लखनऊ। 4 अक्टूबर टेंडर में गड़बड़ी, वित्तीय अनियमित्ता व भ्रष्टाचार के आरोप में कन्नौज के मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. स्वदेश गुप्ता पर शिकंजा कस गया है। डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने शिकायतों के आधार पर जांच कराने का फैसला किया है।

डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव को डॉ. स्वदेश गुप्ता के खिलाफ शिकायतों की जांच कराने व आरोप पत्र देकर विभागीय कार्यवाही के निर्देश दिए गए हैं।

रामपुर की मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. दीपा सिंह द्वारा बागपत में अपर मुख्य चिकित्साधिकारी पद पर रहने के दौरान पीसीपीएनडीटी एक्ट का दुरूपयोग करने के आरोप हैं। आरोप हैं कि अल्ट्रासाउण्ड सेन्टरों में अनियमित्ता को बढ़ावा दिया। इस संबंध में डिप्टी सीएम ने प्रमुख सचिव को आरोपों की जांच कराने व आरोप-पत्र देकर उनके विरूद्ध विभागीय कार्यवाही करने के निर्देश दिए हैं।

अमेठी, जगदीशपुर सीएचसी के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. प्रदीप तिवारी का स्थानान्तरण मुसाफिरखाना सीएचसी पर किया गया था। इसके बावजूद डॉ. प्रदीप ने नवीन तैनाती स्थल पर कार्यभार ग्रहण नहीं किया हे। उच्चादेश की अवहेलना की है। डिप्टी सीएम ने स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. प्रदीप के खिलाफ अनुशासनिक कार्यवाही किये जाने के निर्देश दिए हैं।

चित्रकूट के मुख्य चिकित्साधिकारी से स्पष्टीकरण तबल किया गया है। आरोप है कि मख्य चिकित्साधिकारी अकसर मुख्यालय से अनुपस्थित रहते हैं। उच्चादेशों का अनुपालन नहीं करते हें। शासकीय व पदीय दायित्वों के निर्वहन में लापरवाही बरत रहे हैं। इसलिए इन पर कठोर कार्यवाही की जाएगी।

प्राइवेट प्रैक्टिस के आरोप तीन वेतन वृद्धि रोकी

श्रावस्ती जिला संयुक्त चिकित्सालय में तैनात डॉ. डीके गुप्ता पर महोबा जिला चिकित्सालय में तैनाती से लगातार एनपीए लेते हुए प्राइवेट प्रैक्टिस करने के आरोप लगे हैं। साथ ही मेडिकल स्टोर संचालकों से साठगांठ करने के आरोप भी थे। शिकायतों की जांच कराई गई। आरोप सही पाए गए। डिप्टी सीएम ने चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव को निर्देश दिए हैं कि डॉ. डीके गुप्ता की 3 वेतन वृद्धियां स्थायी रूप से रोकी जाएं। साथ ही परिनिन्दा का दण्ड दिया जाए। जिला महोबा में तैनाती अवधि लगभग 10 वर्षों से लिए गये निजी प्रैक्टिस पे की वसूली ब्याज सहित की जाए।


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