गुरु रविदास के जन्मदिन को गुरु रविदास जयंती के रूप में भारत में मनाया जाता है। रविवार 5 फरवरी को संत रविदास जी की जयंती मनाई जा रही है।
ये माघ पूर्णिमा यानी माघ महीने में पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। यह वर्षगांठ भारत में दुनिया भर के लोगों द्वारा मनाई जाती है। इस दिन श्रद्धालु नदी में पवित्र स्नान करके अनुष्ठान करते हैं। रविदास जयंती 2020 में 9 फरवरी और 2021 में 16 फरवरी को मनाई गई थी। जातिवाद का मुकाबला करने के उनके प्रयासों के कारण, गुरु रविदास को आध्यात्मिक व्यक्ति और समाज सुधारक दोनों के रूप में माना जाता है। वह संत कबीर के समय में थे। संत रविदास जी की जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनको नमन किया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करते हुए लिखा, ”संत रविदास जी की जयंती पर उन्हें नमन करते हुए हम उनके महान संदेशों का स्मरण करते हैं। इस अवसर पर उनके विचारों के अनुरूप न्यायप्रिय, सौहार्दपूर्ण और समृद्ध समाज के अपने संकल्प को दोहराते हैं। उनके मार्ग पर चलकर ही हम कई पहलों के जरिए गरीबों की सेवा और उनका सशक्तिकरण कर रहे हैं।”
गुरु रविदास मध्यकाल एक भारतीय संत थे, जिन्होंने समाज में फैली जात-पात का विरोध किया था। इन्होंने रैदासिया अथवा रविदासिया पंथ की स्थापना की थी।
-गुरु रविदास (रैदास) का जन्म वाराणसी के सीर गोवर्धनपुर गांव में हुआ था। उनका जन्म विवार को संवत 1398 को हुआ। इनके पिता का नाम संतोख दास तथा माता का नाम कलसां देवी था।
रविदास जयंती पर, उनके अनुयायी उनका जन्मदिन मनाने के लिए उनके जन्मस्थान पर जाते हैं। रविदास जयंती के दिन रविदास जी का जन्मदिन मनाया जाता है। रविदास जी जाति व्यवस्था को खत्म करने के अपने काम के लिए प्रसिद्ध हैं। उन्होंने भक्ति आंदोलन में भी योगदान दिया है और कबीर जी के घनिष्ठ मित्र और शिष्य के रूप में प्रसिद्ध थे। उनके और कबीर जी के बीच अध्यात्म पर बहुत सारी बातचीत होती थी। उनकी शिष्या मीराबाई थीं।
-रविदासिया धर्म, के लोग सिर्फ रविदास जी को मानते हैं। इसके अलावा कबीरपंथी, सिख भी रविदास जी की पूजा करते हैं।