लखनऊ 26 सितंबर उत्तर प्रदेश शिक्षा परिषद के अंतर्जनपदीय तबादला लेने वाले प्राथमिक शिक्षक नवीन तैनाती के बाद सरकार की तबादला नीति एवं कार्य शैली के कारण अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे है जिनमें अधिकतर महिला शिक्षक है गृह जनपदों की चाहत में महिला शिक्षकों का सुदूर क्षेत्रों में तबादला किया गया जो की सरकार एवं शिक्षा विभाग की मनसा पर सवालिया निशान है
बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ, नारी सशक्तिकरण, महिला आरक्षण बिल आदि योजनाओं पर अपनी उपलब्धि का ढिंढोरा पीटने वाली सरकार की मनसा तब कहां धरी रह गई जब कई बरसों से तैनात महिला शिक्षकों ने अपने गृह जनपद आने की आस में अंतर्जनपदीय तबादला के लिए आवेदन किया जिसमें लखनऊ सहित प्रदेश के 17 जिला आवेदन की सूची से बाहर कर दिए गए क्या इन जनपदों में शिक्षकों के कोई पद खाली नहीं थे यदि नहीं थे तो उसको स्पष्ट किया जाना चाहिए था फिर भी मन में धैर्य रखते हुए कई महिला एवं पुरुष शिक्षकों ने अपने गृह जनपद के पड़ोसी जनपद में यह समझकर आवेदन किया कि उसकी तैनाती पास वाली ब्लॉक में हो जाएगी और शिक्षकों ने वर्षों की सीनियरिटी को गंवाने के बाद अपने पड़ोसी जनपदों में तबादला लिया लेकिन शिक्षा विभाग का मनमाना खेल यहां भी जारी रहा और उसने ऐसे शिक्षकों के लिए अपने गृह जनपद से पास के ब्लॉकों में स्कूलों की लिस्ट को शॉर्ट कर दिया जिसके कारण तबादला प्राप्त शिक्षकों को उन सुदूर क्षेत्रों में अपनी तैनाती लेनी पड़ी जिसमें की खासी परेशानी महिला शिक्षकों को उठानी पड़ रही है
प्राथमिक विद्यालय में 30 बच्चों पर एक शिक्षक होना चाहिए। इसी तरह उच्च प्राथमिक विद्यालय में 35 बच्चों पर एक शिक्षक का मानक तय किया गया है। ब्लॉक बार स्कूलों में खाली पदों की संख्या को यदि तबादले से पहले ही जारी कर दिया होता तो कई शिक्षक तबादला लेने की कोशिश नहीं करते
ऑनलाइन प्रक्रिया के बावजूद भी आवंटित स्कूलों की प्रक्रिया को दो से तीन दिन मैं 2 से 3 बार सभी शिक्षकों को बुलाकर करनी पड़ी ऑनलाइन प्रक्रिया के बावजूद विभाग ने यह कसरत सभी शिक्षकों से कराया
तीसरी और बड़ी बात विकलांग एवं असाध्याय रोगों की भरंक की अर्हता प्राप्त शिक्षकों की निगरानी कमेटी जिला स्तर पर बनाई जा चुकी थी जिसने की बारीकी से निरीक्षण किया जिस को एक पर्याप्त समय दिया गया बावजूद इसके कई शिक्षकों के भरंक में चूक पकड़ी गई जिसकी वजह से आवंटित स्कूलों की प्रक्रिया 1 दिन से देरी से शुरू हुई
यूपी की योगी सरकार लगातार शिक्षा को बेहतर बनाने पर काम कर रही है. बावजूद इसके प्रदेश में आज बड़ी संख्या में शिक्षकों के पदों को भरा नहीं गया है. राज्य में शिक्षा मंत्रालय से पूछे गए एक सवाल के जवाब में पता चला है कि प्रदेश में साल 2022-23 में कक्षा 1 से 8 तक 1 लाख 26 हजार 28 पद खाली है एक रिपोर्ट के अनुसार यूपी में 1.58 लाख स्कूल हैं। इस वक्त 3.79 लाख शिक्षक हैं। 1.40 लाख शिक्षामित्र हैं। कुल शिक्षकों की संख्या हुई 5 लाख 19 हजार। 2021-22 में जहां शिक्षकों के स्वीकृत पदों की संख्या 7,19,399 थी वहीं 2022-23 में 5,79,622 रह गई। साफ है कि एक साल में ही पदों की संख्या में 1,39,777 कमी हो गई।