सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है और यूपी सरकार के वित्त सचिव एसएमए रिजवी और विशेष सचिव (वित्त) सरयू प्रसाद मिश्रा को फौरन रिहा करने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद दोनों IAS अफसरों को 19 अप्रैल को पुलिस ने हिरासत में ले लिया था। यूपी सरकार ने HC के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
20 अप्रैल को सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से ASG केएम नटराज (ASG KM Natraj) पेश हुए। उन्होंने सीजेआई चंद्रचूड़ की बेंच को दोनों अफसरों को हिरासत में लेने की जानकारी देते हुए कहा, ‘मीलॉर्ड! यह तो बहुत अजीब आदेश है…।’ सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने हाईकोर्ट के आदेश पर स्टे लगाते हुए दोनों अफसरों को फौरन रिहा करने का आदेश दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी करने का आदेश देते हुए कहा कि अगली सुनवाई तक इलाहाबाद हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच के फैसले पर स्टे जारी रहेगा। यूपी सरकार के अधिकारियों को तुरंत रिहा किया जाए।
क्यों हिरासत में लिये गए थे IAS अफसर?
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दोनों अफसरों को न्यायालय की अवमानना का दोषी करार देते हुए हिरासत में लेने का आदेश दिया था। दरअसल, पूरा मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट के 4 अप्रैल के एक आदेश से जुड़ा है। उच्च न्यायालय ने, हाईकोर्ट के रिटायर्ड जजों की सुविधा से संबंधित मामले पर हफ्ते भर के अंदर जवाब दायर करने को कहा था, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। हाईकोर्ट ने इसे अवमानना माना।
इससे पहले 18 अप्रैल को राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में एक एफिडेविट दाखिल कर बताया था कि 4 अप्रैल के आदेश को लागू नहीं किया जा सका है। कोर्ट ने इसपर कड़ी नाराजगी जाहिर की और कहा कि राज्य का वित्त विभाग जानबूझकर न्यायालय के फैसले को लागू नहीं कर रहा है और हीला-हवाली कर रहा है।
लाहाबाद हाईकोर्ट ने दोनों अफसरों को न्यायालय की अवमानना का दोषी करार देते हुए हिरासत में लेने का आदेश दिया था। दरअसल, पूरा मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट के 4 अप्रैल के एक आदेश से जुड़ा है। उच्च न्यायालय ने, हाईकोर्ट के रिटायर्ड जजों की सुविधा से संबंधित मामले पर हफ्ते भर के अंदर जवाब दायर करने को कहा था, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। हाईकोर्ट ने इसे अवमानना माना।
इससे पहले 18 अप्रैल को राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में एक एफिडेविट दाखिल कर बताया था कि 4 अप्रैल के आदेश को लागू नहीं किया जा सका है। कोर्ट ने इसपर कड़ी नाराजगी जाहिर की और कहा कि राज्य का वित्त विभाग जानबूझकर न्यायालय के फैसले को लागू नहीं कर रहा है और हीला-हवाली कर रहा है।
इससे पहले बुधवार को जब दोनों अफसर हिरासत में लिये गए थे, तब भी उत्तर प्रदेश सरकार के अपर महाधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी ने उनकी जमानत की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया था। कहा था कि कोर्ट के आदेश का पालन करें, तभी राहत मिलेगी।
अब सवाल यह उठता है क्या हाई कोर्ट आम जनता से जुड़े मुद्दों पर भी इतनी तत्परता दिखा पाएगा क्योंकि मामला न्यायाधीशों से जुड़े हुए मुद्दे के आदेश पर अवमानना से संबंधित था यद्यपि जो सजगता एवं तत्परता उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने न्याय में हुई देरी पर उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ आईएएस के साथ व्यवहार किया वह उचित तभी माना जा सकता है जबकि ऐसा व्यवहार एक आम आदमी के साथ जुड़े हुए मुद्दे पर न्याय में होने वाली देरी पर भी किया जाए यदि संवैधानिक पीठ ऐसी तत्परता एवं सजगता सभी के लिए अप्लाई तो निश्चित रूप से अवमानना के मामले अदालतों में सिमट कर रह जाएंगे और एक बहुत बड़ा पैगाम हमारे सिस्टम को जाएगा