नई दिल्ली 2 अगस्त सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि पीएचडी करने के दौरान जो भी समय लगता है उसे टीचिंग एक्सपीरियंस में काउंट नहीं किया जा सकता. ये फैसला सुप्रीम कोर्ट ने प्रिया वर्गीज मामले में सुनाया है, जहां यूजीसी ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील की थी.
दरअसल प्रिया वर्गीज मामले में केरल हाईकोर्ट ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया था और पीएचडी के समय को अनुभव मानते हुए प्रिया वर्गीज को कन्नूर यूनिवर्सिटी में एसोसिएट प्रोफेसर के तौर पर नियुक्ति की अनुमति दे दी थी. इसके खिलाफ यूजीसी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी
प्रिया वर्गीज द्वारा पीएचडी में बिताए गए समय को केरल हाईकोर्ट ने टीचिंग एक्सपीरियंस मानते हुए उनकी नियुक्ति को हरी झंडी दे दी थी. हालांकि इस फैसले के खिलाफ यूजीसी ने याचिका दायर की और कहा कि नियमों में दी जानकारी को गलत तरह से समझा जा रहा है. खंडपीठ ने यूजीसी के 2018 के नियमों की व्याख्या करते हुए कहा कि ये समय अनुभव में नहीं गिना जा सकता. बता दें कि प्रिया वर्गीज, मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के निजी सचिव के के रमेश की पत्नी हैं
हाईकोर्ट को गलत बताया
जून 2023 में प्रिया वर्गीज की एक अपील में जस्टिस एके जयशंकरन नांबियार और जस्टिर मोहम्मद नियास सीपी की बैंच ने एकल पीठ के आदेश को रद्द कर दिया था. साथ ही उन्होंने प्रिया वर्गीज द्वारा पीचएडी पूरा करने में लगे समय को शिक्षण कार्य से अलग हटकर न देखने की बात भी कही थी. इसी आधार पर उन्हें यूनिवर्सिटी में नियुक्ति का पात्र माना गया था
सुनवाई के दौरान जस्टिस जेके माहेश्वरी ने मौखिर तौर पर कहा कि हम इसे साफ करते हैं कि इस मामले में हाईकोर्ट कुछ हद तक गलत है
इस मामले में माना जाएगा टीचिंग एक्सपीरियंस
खंडपीठ ने यूजीसी नियमों की व्याख्ता करते हुए प्रिया वर्गीज को नियुक्ति के लिए उपयुक्त नहीं पाया. साथ ही ये भी कहा कि अगर कैंडिडेट पीएचडी के साथ-साथ बिना छुट्टी लिए शिक्षण कार्य करता है तो उसे टीचिंग एक्सपीरियंस में गिना जाएगा. यूजीसी ने भी कहा कि उनके नियमों की गलत व्याख्या की गई है. टीचिंग एक्सपीरियंस वही गिना जाता है तो वास्तविक हो नाकि वो जो अर्थ या अनुमान लगाया जा सके.