उत्तर प्रदेश अभियोजन निदेशालय की प्रभावी पैरवी से अभियुक्तों को सजा दिलाई जाने में उत्तर प्रदेश देश में अब्बल
लखनऊ- उत्तर प्रदेश अभियोजन निदेशालय अपराधियों को सजा चलाई जाने के मामले में देश में अव्वल रहा है अभी हाल ही में देश के गृह मंत्री अमित शाह ने अभियुक्तों को सजा दिलाई जाने में उत्तर प्रदेश पुलिस की जमकर तारीफ की तथा उत्तर प्रदेश की अभियोजन निदेशालय को ट्रॉफी भेंट की प्रदेश पुलिस की प्रभावी पैरवी से पिछले तीन सालों के दौरान 30 हजार मामलों में अपराधियों को उनके गुनाह की सजा मिल चुकी है।
अभियोजन निदेशालय के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2020 से 2022 तक पॉक्सो एक्ट में 4078, रेप के केस में 1218, क्राइम अगेंस्ट वूमेन एंड चिल्ड्रेन केस में 8646, हत्या के केस में 2387, दहेज हत्या के केस में 1152, लूट के केस में 1141, गोवंश हत्या के केस में 279 और आर्म्स एक्ट के केस में 10520 मामलों में सजा दिलायी गई है। अभियोजन निदेशालय की ओर से रिकॉर्ड स्तर पर अपराधियों को उनके किये की सजा दिलाने के लिए कई अवार्ड भी मिल चुके हैं।
अभियोजन निदेशालय के एडीजी आशुतोष पांडेय ने बताया कि पिछले तीन साल में कोर्ट में प्रभावी पैरवी और शत-प्रतिशत गवाहों की गवाही कराकर अपराधियों को सजा दिलाने में शानदार प्रदर्शन किया है। निदेशालय ने कोर्ट में प्रभावी पैरवी के जरिये वर्ष 2020 में पॉक्सो के तहत जहां 535 मामलों में सजा दिलायी, वहीं वर्ष 2022 में 2313 मामलों में सजा दिलायी गई, जिसका रेशियो वर्ष 2020 के मुकाबले वर्ष 2022 में 332 प्रतिशत अधिक रहा।
इसी तरह रेप के मामले में वर्ष 2020 में 177 मामलों में सजा दिलाई गई, तो वहीं वर्ष 2022 में 671 मामलों में सजा दिलाई गई, जिसका रेशियो वर्ष 2020 के मुकाबले 2022 में 280 प्रतिशत अधिक रहा है। इसी प्रकार क्राइम अगेंस्ट वूमेन एंड चिल्ड्रेन के मामलों में वर्ष 2020 में 1048 मामलों में सजा दिलाई गई जबकि वर्ष 2022 में 5351 मामलों में सजा दिलायी गई, जिसका रेशियो वर्ष 2020 के मुकाबले वर्ष 2022 में 411 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई। हत्या के केस में वर्ष 2020 में 420 मामलों जबकि 2022 में 1180 मामलों में सजा दिलायी गई, जिसका रेशियो वर्ष 2020 के मुकाबले वर्ष 2022 में अपराधियों को सजा दिलाने में 181 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
अभियोजन निदेशालय ने दहेज हत्या के केस में वर्ष 2020 में 182 मामलों जबकि वर्ष 2022 में 572 मामलों में सजा दिलायी गई। इसी तरह लूट के केस में वर्ष 2020 में 177 मामलों जबकि वर्ष 2022 में 745 मामलों में सजा दिलायी गई, जिसका रेशियो वर्ष 2020 के मुकाबले वर्ष 2022 में 321 प्रतिशत अधिक रहा। वहीं गोवंश के मामले में जहां वर्ष 2020 में 29 मामलों तो वर्ष 2022 में 200 मामलों में सजा दिलायी गई। वहीं सबसे अधिक पिछले तीन वर्ष में सबसे अधिक आर्म्स एक्ट के मामलों में सजा दिलायी गई।
आर्म्स एक्ट के मामले में वर्ष 2020 में 1960 मामलों जबकि वर्ष 2022 में 6373 मामलों में सजा दिलायी गई, जिसका रेशियो वर्ष 2020 के मुकाबले वर्ष 2022 में 225 प्रतिशत अधिक रहा।
अभियोजन निदेशालय को पूरे देश में कम समय में अपराधियों को सजा दिलाने, ई ऑफिस और ई प्रॉसीक्यूशन पोर्टल पर देश में अच्छा प्रदर्शन करने पर अवार्ड, प्रमाण पत्र से सम्मानित किया गया है।
अभियोजन निदेशालय के एडीजी आशुतोष पांडेय ने बताया कि वर्ष 2021 में केन्द्र सरकार के गृह मंत्रालय ने आईसीजेएस सिस्टम के तहत नेशनल क्राइम रिपोर्ट ब्यूरो की ओर से देश में उत्तर प्रदेश को अभियोजन कार्य के लिए अवार्ड दिया था। यह अवार्ड वर्ष 2022 में भी उत्तर प्रदेश के अभियोजन निदेशालय को दिया गया। इसी तरह ई प्रॉसीक्यूशन के लिए वर्ष 2022 में स्कॉच अवार्ड से सम्मानित किया गया।