कौन थे हरविलास शारदा जिनकी लिखी किताब को आधार बनाकर अजमेर कोर्ट ने दिया ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती दरगाह की सर्वे का आदेश
अजमेर 28 नवंबर राजस्थान के अजमेर में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह को लेकर विवाद शुरू हो गया है. विवाद शुरू होने के बाद सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती ने हिंदू सेना के दावे को ‘मनगढ़ंत’ बताया है. हिंदू सेना की ओर से कोर्ट में याचिका दायर कर दावा किया गया है कि अजमेर स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में शिव मंदिर है.
बता दें कि हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता द्वारा हिंदू मंदिर बताने वाली याचिका को निचली अदालत में बुधवार को दायर किया गया था. कोर्ट ने इस याचिका को सुनवाई के लिए मंजूर कर लिया है. जिसके बाद कोर्ट की ओर से सभी पक्षकारों को नोटिस जारी किया है और सुनवाई के लिए 20 दिसंबर की तारीख तय की है
कौन थे हरविलास शारदा
सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती ने कहा कि वादी ने हरविलास शारदा की किताब को आधार बनाया है जो कोई इतिहासकार नहीं थे. वह अजमेर के सम्मानित शख्सियत थे. उनकी किताब अजमेर हिस्टोरिकल एंड डिस्क्रिप्टिव 1910 में आई और 1920 में पुनः प्रकाशित हुई. उस किताब को आधार बनाकर के इस तरह के मनगढ़ंत दावे पेश करना या बात करना बिल्कुल गलत है.
सैयद सरवर चिश्ती का बयान
अजमेर में दरगाह के खादिमों की संस्था अंजुमन सैयद जादगान के सचिव सैयद सरवर चिश्ती ने भी इस मामले पर प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने मीडिया के एक सवाल के जवाब में कहा, “यह हमारे लिए कोई यह नई बात नहीं हुई है. हम यह उम्मीद करके चल रहे थे कि याचिका मंजूर होगी. उन्होंने संभल का उदाहरण देते हुए कहा कि दोपहर में 1.30 बजे याचिका दाखिल की गई, एडवोकेट कमिश्नर को 3.30 बजे अपॉइंट कर दिया गया. सामने वाले पक्ष को सुना नहीं गया. संभल की मस्जिद 400 साल पुरानी है और वह एएसआई की निगरानी में आती है. उसी दिन शाम को कमिश्नर सर्वे करने चले गए. सर्वे पूरा हो गया. इसके तीन दिन बाद फिर नारे लगाते हुए आते हैं, फिर किया हुआ?