क्या आपने कभी सोचा था कि कोलकाता से बैंकॉक तक का सफर आप अपनी गाड़ी या फिर बाइक से कर सकेंगे? जरा सोचिए, घर से बैग पैक करके अपनी गाड़ी से निकल पड़े और डेस्टिनेशन हो थाईलैंड का बैंकॉक। इस रोमांचक सफर का आनंद ले सकेंगे आप जल्दी यह सपना पूरा होने वाला है
1400 किमी लंबा यह इंटरनेशनल हाईवे लगभग 70% बन चुका है। बाकी का रास्ता बनाने का काम भी काफी तेजी से किया जा रहा है। यह इंटरनेशनल हाईवे एशिया के दो बड़े देशों भारत और थाईलैंड को सड़क मार्ग से जोड़ेगा।
बताया जाता है कि यह परियोजना का प्रस्ताव साल 2002 में तत्कालिन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई ने दिया था। इसलिए कहा जा सकता है कि यह पूर्व प्रधानमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट है। इस इंटरनेशनल हाईवे का निर्माण बिम्सटेक (BIMSTEC) प्रोजेक्ट के तहत किया जा रहा है। यह एक त्रिपक्षिय राजमार्ग होगा। इसे पहले साल 2019 तक पूरा कर लेने की योजना थी लेकिन अब इसमें विलंब होने वाला है। संभावना जतायी जा रही है कि अगले 3-4 सालों के अंदर इस परियोजना को पूरा कर लिया जाएगा।
कोलकाता-थाईलैंड इंटरनेशनल हाईवे के बन जाने के बाद अब थाईलैंड या म्यांमार जाने के लिए फ्लाईट का टिकट खरीदने की जरूरत नहीं पड़ेगी। यह रास्ता सड़क मार्ग से गाड़ी, बस या बाईक से पूरी कर ली जाएगी। अनुमान लगाया जा रहा है कि कोलकाता से थाईलैंड तक का यह सफर करीब 22-25 घंटों का होने वाला है। इसलिए जो लोग लॉन्ग ड्राईव के शौकिन हैं या रोमांचक सफर पर जाना पसंद करते हैं, उन्हें यह इंटरनेशनल हाईवे बहुत पसंद आने वाला है। यह इंटरनेशनल हाईवे कई देशों से होकर गुजरने वाला है।
कोलकाता-थाईलैंड वाया म्यांमार इंटरनेशनल हाईवे का रुट –
कोलकाता से श्रीरामपुर-सिलीगुड़ी-कूचबिहार होते हुए यह रोड असम में प्रवेश करेगा।
असम में दीमापुर और उसके बाद नागालैंड से होकर यह रोड मणिपुर की राजधानी इम्फाल में प्रवेश करेगा।
मणिपुर में यह म्यांमार बॉर्डर मोरेह से जुड़ेगा जो आगे म्यांमार में पहुंचेगा।
म्यांमार के कई शहरों बागो-यांगून से होकर यह रोड थाईलैंड पहुंचेगा।
थाईलैंड के कई शहरों से गुजरते हुए यह इंटरनेशनल हाईवे थाईलैंड के शहर माई सोत को कोलकाता से जोड़ेगा।
इस हाईवे का ज्यादातर हिस्सा भारत से होकर ही गुजरने वाला है, जबकि बहुत कम हिस्सा म्यांमार और थाईलैंड से गुजरेगा।
मिली जानकारी के अनुसार इस इंटरनेशनल हाईवे को बनाने का मुख्य मकसद नॉर्थ-ईस्ट राज्यों की इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूती प्रदान करने के साथ ही भारतीय सामानों को एशियाई देशों तक सड़क मार्ग से पहुंचाना है। माना जा रहा है कि सड़क मार्ग से भेजने की वजह से सामानों के निर्यात का खर्च काफी कम हो जाएगा, जिससे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत को व्यवसाईक रूप से अपनी पैठ बनाने में काफी मदद मिलेगी।