लंदन में ब्रिटिश हाई कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए डायमंड कारोबारी नीरव मोदी को पंजाब नेशनल बैंक की कर्ज घोटाले मैं मुख्य आरोपित मानते हुए एवं भारत के अन्य अपराधिक आर्थिक मामलों में मुख्य आरोपित मानते हुए भारतीय जांच एजेंसियों की ओर से जुटाए हुए सपतों को स्वीकार करते हुए उसके प्रत्यर्पण पर मोहर लगा दी है
दक्षिण पूर्व लंदन की 10 वर्ष जेल में बंद 51 वर्षीय भगोड़े नीरव मोदी को गत फरवरी में जिला न्यायाधीश सेम गुजी की वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट अदालत की प्रत्यर्पण के पक्ष में दी गई व्यवस्था के खिलाफ अपील करने की अनुमति दी गई थी लेकिन ब्रिटेन के हाई कोर्ट ने पाया कि पिछले साल जिला मजिस्ट्रेट द्वारा दिया गया प्रत्यर्पण का फैसला उचित है इसी साल ब्रिटेन की स्थानीय अदालत ने भारत की ओर से पेश किए गए सीबीआई और ईडी के सबूतों के आधार पर नीरव मोदी के प्रत्यर्पण का फैसला दिया था नीरव मोदी के वकील ने इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में यूरोपियन कन्वेंशन ऑफ ह्यूमन राइट्स की धारा 3 और ब्रिटेन के प्रत्यर्पण कानून 2003 के तहत भारत प्रत्यर्पण नहीं करने की अपील की थी जिसको की ब्रिटिश हाईकर्ट ने खारिज कर दिया अब जबकि फैसला भारतीय जांच एजेंसियों के पक्ष में आ गया है तो इस बात की संभावना व्यक्त की जा रही है कि जो भारत में आर्थिक अपराधों का दोषी मुख्य अभियुक्त नीरव मोदी को माना जा रहा था और उसको भारत वापस लाया जा सकेगा और जांच एजेंसियां स्वतंत्र होकर अपना काम कर सकेंगे
नीरव मोदी ने जिला न्यायालय के फैसले के विरुद्ध हाईकर्ट में मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति के प्रत्यर्पण पर रोक लगाने संबंधी याचिका दाखिल की थी जिसमें उसने कहा था कि एक अवसाद ग्रस्त अव्यक्त के आत्महत्या करने के खतरे के चलते उसके प्रत्यर्पण पर रोक लगाई जानी चाहिए जिसको कि ब्रिटिश हाईकोर्ट ने सिरे से खारिज कर दिया फिलहाल में ब्रिटेन की जेल में बंद है और 14 दिन के अंदर ब्रिटिश सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकता है जिसके खिलाफ भारतीय जांच एजेंसियां मजबूती से अपनी तैयारियां कर रही है( जितेंद्र गुप्ता…. mediawithyou)