मैनपुरी उप चुनाव में सपा और भाजपा में कांटे की टक्कर
सपा से डिंपल यादव का नामांकन होने के बाद भाजपा ने पूर्व सांसद रघुराज सिंह शाक्य पर दांव खेला है
मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव के साथ-साथ पूरे प्रदेश में चुनाव की सरगर्मियां तेज है कारण निकाय चुनाव का पास आता समय और मुलायम सिंह के निधन के बाद खाली हुई लोकसभा सीट मैनपुरी तथा अयोग्य ठहराए गए प्रदेश की 2 विधायकों का निर्वाचन क्षेत्र रामपुर एवं मुजफ्फरनगर की विधानसभा सीट खतौली जोकि कोर्ट के निर्णय के बाद आजम खान की योग्यता को उत्तर प्रदेश सदन द्वारा मान्यता दी गई उसके बाद खतौली के विधायक विक्रम सैनी को भी अयोग्य ठहराया गया
मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में सोमवार को डिंपल यादव ने सपा प्रत्याशी के रूप में सैफई परिवार के गणमान्य व्यक्तियों के साथ नामांकन दाखिल किया था लेकिन इटावा के जसवंतनगर विधानसभा सीट से विधायक एवं पूर्व रक्षा मंत्री मुलायम सिंह यादव के छोटे भाई शिवपाल यादव की अनुपस्थिति को दिखते हुए प्रदेश भाजपा के रणनीतिकारों ने इटावा से दो बार के सांसद रहे रघुराज सिंह शाक्य पर दांव खेला है आपको बताते चलें नई परिसीमन के बाद मैनपुरी लोकसभा सीट पर जसवंत नगर की विधानसभा सीट का निर्वाचन क्षेत्र सहित शाक्य मतदाताओं की दूसरी सबसे बड़ी संख्या करीब सवा तीन लाख मानी जाती है इसलिए इसलिए मैनपुरी का मुकाबला रोचक होगा
भाजपा प्रत्याशी घोषित होने के बाद रघुराज सिंह शाक्य ने हमारे संवाददाता से बातचीत में कहा है कि हमारा परिवार भी मुलायम सिंह के साथ रहा है मैं किसान का पुत्र हूं और जमीन से जुड़कर काम करने में विश्वास रखता हूं इसीलिए इटावा की जनता ने हमको दो बार सांसद चुना है और इटावा और मैनपुरी जनपद के तौर पर दो अलग-अलग क्षेत्र जरूर है लेकिन सांस्कृतिक विरासत और राजनीतिक परिदृश्य से एक ही है आपस में दोनों जनपदों का यातायात सुगम होने के साथ-साथ तमाम रिश्तेदारी है पार्टी नेतृत्व ने जो विश्वास जताया है यहां की मतदाता भाजपा को भारी बहुमत से विजई बनाएंगे
हालांकि मैनपुरी लोकसभा सीट पर सवा चार लाख यादव सवा तीन लाख शाक्य तथा सवा दो लाख छत्रिय और 111000 ब्राह्मण एवं 70000 के आसपास वैश्य समुदाय का वोट है बाकी 1:30 से 2:00 लाख में अन्य जातियां आ जाती है वैसे तो यहां पर समाजवादी पार्टी का ही दबदबा रहा है लेकिन कभी-कभी आंकड़े बदले भी है इस बार भी कुछ नए समीकरण के सारे मिल रहे हैं यदि शाक्य मतदाता लामबंद हो गया और शिवपाल की नाराजगी बरकरार रही तो मुलायम सिंह यादव की विरासत वाली इस सीट पर कड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है