कोटा छात्रों की आत्महत्या से परेशान हुए पेरेंट्स! छुट्टियां लेकर अपने बच्चों के पास रहने को मजबूर मां-बाप
कोटा 30 अगस्त राजस्थान के कोटा में इस साल अबतक 24 छात्रों ने जान दे दी है। आईआईटी और नीट की तैयारी के लिए मशहूर कोटा शहर एकदम से खुदकुशी के लिए चर्चा में है। छात्रों द्वारा उठाए जा रहे खुदकुशी के कदम को रोकने के लिए अब खुद छात्रों के परिवार सामने आ रहे हैं।
दरअसल, छात्रों के मां-बाप और दादा-दादी अपने बच्चों के साथ कोचिंग हब कोटा में शिफ्ट हो रहे हैं। ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि आईआईटी और नीट की प्रवेश परीक्षा की तैयारी के दौरान बच्चों को तनाव न हो और वे कोई गलत कदम ना उठाएं।
बिहार के सीतामढी जिले की रहने वाली 80 साल की नीरू देवी अपने पोते के साथ रहने के लिए कोटा में शिफ्ट हो गई हैं। नीरू का पोता यहां आईआईटी प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रहा है। यहां मेडिकल और इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों पर बढ़ते दबाव पर बात करते हुए नीरू देवी ने कहा, “हमें घर पर शांति नहीं मिलती।”
पिछले साल 15 छात्रों ने आत्महत्या की
साल 2023 में अबतक छात्रों 24 छात्रों ने आत्महत्या की है, जिसमें से दो छात्रों पिछले दो दिनों में खुदकुशी की है। पिछले साल 15 छात्रों ने आत्महत्या की थी। कोटा में पढ़ाई कर रहे छात्रों पर सिलेबस का बढ़ता दबाव, कड़ी प्रतिस्पर्धा, बेहतर करने का लगातार दबाव, माता-पिता की उम्मीदों का बोझ और घर की याद यहां के छात्रों को प्रभावित कर रही है।
हॉस्टल में रखने से कतरा हैं पेरेंट्स
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, कई माता-पिता अब अपने बच्चों को हॉस्टल में रखने से कतरा हैं। इसके बजाय, पेरेंट्स कोटा में किराए पर घर लेकर और यहां तक कि छुट्टियां लेकर भी अपने बच्चों के साथ रह रहे हैं। ऐसे ही मध्य प्रदेश के सतना जिले की संध्या द्विवेदी कोटा में आकर अपने बेटे के साथ रह रही हैं, जबकि उनके पति घर पर अन्य जिम्मेदारियां संभालते हैं।
संध्या द्विवेदी ने कहा, “अब मुझे चिंता कम होती है। मेरा बेटा रात में पढ़ता है… मैं उसे चाय या कॉफी बनाकर देती हूं। वह जानता है कि मैं उससे बात करने और उसे सांत्वना देने के लिए यहां हूं। वह इस महीने में दो बार बीमार था और मैं उसकी देखभाल करने के लिए यहां थी। मैं चाहती हूं कि वह जेईई में सफल हो, लेकिन मैं उसे इस प्रक्रिया में खोना नहीं चाहती… हम छात्रों की आत्महत्या के बारे में सुन रहे हैं और हम यह जोखिम नहीं उठा सकते।”
बता दें कि कोटा में सालाना ढाई लाख से अधिक छात्र इंजीनियरिंग (JEE) और मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए नीट (NEET) जैसी प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं की तैयारी के लिए जाते हैं। पीटीआई से बात करते हुए नीरू देवी ने कहा, “हम कई तरह की खबरें सुन रहे हैं, इसलिए हमने अपने पोते के साथ में रहने का फैसला किया है। अब मैं उसके साथ रह रही हूं और अगर वह अच्छा प्रदर्शन या सहज महसूस नहीं करता, तो उसकी मां यहां आ जाएगी।”
चंडीगढ़ में एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर शिवानी जैन ने नीट की तैयारी कर रही अपनी बेटी के साथ रहने के लिए ऑफिस से छुट्टी लेने का फैसला किया है। शिवानी जैन ने कहा, “वह अभी 11वीं कक्षा में है। जब तक वह अपनी 12वीं पूरी नहीं कर लेती और परीक्षा में सफल नहीं हो जाती, मैं उसके साथ कोटा में रहूंगी। अगर मैं उसे हॉस्टल में छोड़ दूंगा, तो मुझे घर पर शांति नहीं मिलेगी।