इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में शीतकालीन अवकाश होने के बावजूद आज कोर्ट खुली और उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव पर हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में सुनवाई हुई दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है अब 27 दिसंबर को इस मसले पर फैसला सुनाया जाएगा
याचिकाकर्ता की तरफ से पेश होते हुए उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता एलपी मिश्रा ने निकाय चुनाव में रिजर्वेशन को लेकर शुरू हुई बहस में अपना पक्ष रखा वरिष्ठ अधिवक्ता श्री मिश्रा ने कहा कि अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण जो किया गया है वह राजनीतिक रिपोर्ट के आधार पर तैयार किया गया दस्तावेज है जबकि होना यह चाहिए था कि एक डेडीकेट कमीशन बनाया जाए जो आरक्षण को लेकर फैसला करें जबकि मौजूदा आरक्षण प्रणाली से पिछड़ा वर्ग के साथ न्याय नहीं हो पा रहा है उन्होंने हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ को एक नजीर देते हुए बताया तथा इसी प्रकार के मामले में याचिकाकर्ताओं की तरफ से उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता ने सुरेश महाजन बनाम मध्य प्रदेश सरकार 2021 के केस में सुप्रीम कोर्ट का आदेश विस्तार से पढ़कर खंडपीठ के सामने सुनाया उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पढ़ने के बाद आगे की सुनवाई शुरू की
डेडीकेटेड आयोग पर सरकारी वकील ने अपना पक्ष रखते हुए कहा है कि उनका रैपिड सर्वे डेडीकेटेड आयोग द्वारा किए गए ट्रिपल टेस्ट जैसा ही है याचिकाकर्ताओं के पक्ष पर सरकारी वकील ने कहा है कि महिला आरक्षण को होरिजेंटल आरक्षण बताया गया है फिर जज ने कहा है कि इस इंडिविजुअल केस को अलग से सुना जाएगा आज केवल ओबीसी रिजर्वेशन पर बात सुनी जाएगी जबकि आपको बता दें कि एक याचिका ट्रांसजेंडर की तरफ से भी आरक्षण हेतु दायर की जा चुकी है कुल मिलाकर इलाहाबाद हाईकोर्ट के अंतर्गत निकाय चुनाव में आरक्षण से संबंधित 68 याचिकाएं दायर हो चुकी है
इससे पूर्व शुक्रवार को निकाय चुनाव की सुनवाई समय की कमी के कारण पूरी नहीं हो सकी थी जिससे कि शीतकालीन अवकाश को देखते हुए कोर्ट ने कहा है कि हाईकोर्ट के मुख्य न्यायमूर्ति यह वरिष्ठ न्यायाधीश से अनुमति लेकर इस मामले को 24 दिसंबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाए सरकार के हलफनामे पर याचिकाकर्ताओं ने सवाल उठाए गत मंगलवार को मामले की सुनवाई के समय राज्य सरकार का कहना था कि मांगे गए सारे जवाब प्रति शपथ पत्र में दाखिल कर दिए गए हैं इस पर याचिकाकर्ताओं के वकील ने आपत्ति करते हुए सरकार से विस्तृत जवाब मांगे जाने की गुजारिश की थी जिसे कोर्ट ने नहीं माना उधर सरकार के वकील ने हलफनामा देकर सभी का जवाब राज्य सरकार में दाखिल किए गए हलफनामे में कहा है कि स्थानीय निकाय चुनाव मामले में 2017 में हुए अन्य पिछड़ा वर्ग के सर्वे को आरक्षण का आधार माना जाए सरकार ने कहा है कि इसी सर्वे को ट्रिपल टेस्ट माना जाए ट्रांसजेंडर्स को चुनाव में आरक्षण नहीं दिया जा सकता है पिछली सुनवाई में हाई कोर्ट ने सरकार से पूछा था कि किन प्रावधानों के तहत निकायों में प्रशासकों की नियुक्ति की गई है इस पर सरकार ने कहा है कि 5 दिसंबर 2011 के हाईकोर्ट के फैसले के तहत इस क
इससे पूर्व कोर्ट ने पहले स्थानीय निकाय चुनाव की अंतिम अधिसूचना जारी करने पर 20 दिसंबर तक रोक लगा दी थी साथ ही राज्य सरकार को आदेश दिया था कि 20 दिसंबर तक बीती 5 दिसंबर को जारी अनंतिम आरक्षण की अधिसूचना के तहत आदेश जारी न करें हाईकोर्ट ने ओबीसी को उचित आरक्षण का लाभ दिए जाने और सीटों के रोटेशन के मुद्दों को लेकर दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया था अब जबकि शीतकालीन अवकाश के बावजूद भी 24 दिसंबर को कोर्ट ने आरक्षण के मुद्दे पर सुनवाई करते हुए निकाय चुनाव उत्तर प्रदेश का फैसला सुरक्षित कर लिया है जोकि 27 दिसंबर को सुनाया जाएगा