December 4, 2024 |

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आखिर कब रुकेगा एसिडl अटैक लचर कानून व्यवस्था

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अभी बहुत समय पहले की बात नहीं है जब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा था कभी लड़कों से भी पूछा करो कहां जा रहे  हो किस से मिल रहे हो प्रधानमंत्री की इस सटीक टिप्पणी को यदि आज हमने अपने जेहन में उतारा होता तो विगत वर्षों में किशोरावस्था में किए गए अपराधों से हम अपने बच्चों को बचा सकते थे आज के बदले हुए परिवेश में किशोरावस्था में ही जब बच्चे नाबालिक होते हैं तभी वह संगीन अपराध को अंजाम देने लगते हैं और क्योंकि हमारी कानून व्यवस्था में नाबालिक की अपराध के लिए दंड का प्रावधान हल्का है जिसका लाभ उठाते हुए वह किए गए अपराध के प्रतिरूप दंड से बच जाते हैं और यदि कानून द्वारा दिए गए दंड की मूल भावना अर्थात हृदय परिवर्तन से वंचित हो गए तो शातिर अपराधी बनते हैं ऐसा ही एक प्रकरण बीते 14 दिसंबर को दिल्ली में देखने को मिला

दिल्ली के द्वारका के मोहन गार्डन इलाके में रहने वाली 17 वर्षीय सुप्रिया जो अपनी छोटी बहन 13 साल की प्रिया के साथ सुबह घर से स्कूल जा रही थी जिसके ऊपर मोहल्ले के रहने वाले 3 लड़कों ने एसिड फेंक दिया जिससे उसका चेहरा बुरी तरह से झुलस गया और अथाह पीड़ा को सहती हुई परिजनों के माध्यम से सफदरजंग हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया जहां उसकी हालत के विषय में भास्कर रिपोर्टर पूनम कौशल की ग्राउंड रिपोर्ट पढ़कर मन बहुत द्रवित हो गया और सोचने पर मजबूर हो गया की अनायास इस बच्ची का क्या कसूर था जो उस पर एसिड अटैक हुआ यदि आप भी सामाजिक सरोकार रखते हैं भास्कर रिपोर्टर पूनम कौशल की रिपोर्ट पढ़कर आपके मन में पीड़ा का एहसास हो तो फोन घुमा कर दिल्ली के डीसीपी एसीपी से मांग करिए कि दोषी व्यक्तियों को कठोर से कठोर सजा मिले और एसिड उपलब्ध कराने वाली ऑनलाइन कंपनी फ्लिपकार्ट का पूर्णता बॉयकाट हो एक मासूम की दर्द को समाज  के सामने मार्मिक तरह से प्रस्तुत करने के लिए रिपोर्टर पूनम कौशल तथा उनके संस्थान दैनिक भास्कर का हम आभार व्यक्त करते हैं खबर का लिंक और रिपोर्ट आगे प्रस्तुत है  https://dainik-b.in/vHSdhggOTvbhttps://dainik-b.in/vHSdhggOTvb

दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल के ICU में 17 साल की एक लड़की एडमिट है। चेहरा ढंका है, क्योंकि 5 दिन पहले 14 दिसंबर को उसी के मोहल्ले के दो लड़कों ने उस पर एसिड फेंक दिया। तभी से वो ICU में है। हालांकि उसकी हालत अब बेहतर है।

मम्मी-पापा की जिंदगी अब अस्पताल की बेंच या ICU के दरवाजे पर कट रही है। बेटी से मिलने का टाइम आता है, तो हिम्मत जुटानी पड़ती है। देखते ही मां की आंखों से आंसू बहने लगते हैं, पिता खुद को समेटते हुए हिदायत देते हैं- ‘देखो, बिटिया के सामने मत रोना…’

रिश्तेदार और दोस्त आ रहे हैं, लेकिन अभी माता-पिता के अलावा कोई नहीं मिल सकता। लड़की की सिक्योरिटी के लिए ICU के बाहर एक पुलिसवाला तैनात है। ICU में बेटी से मिल जब-जब मां-बाप बाहर निकलते हैं, तो ऊपर वाले को याद करते हैं, दुआएं करते हैं।

उन्हें खुशी है कि बेटी इतने दिन बाद बोल पा रही है। पिता लगभग चहकते हुए अंदाज में बताते हैं, ‘कह रही थी, पापा मैं जल्दी ठीक हो जाऊंगी।’ ये ख़ुशी कुछ ही पल ठहरती है और उदासी उन्हें फिर घेर लेती है। बेटी के भविष्य की चिंताएं उनके चेहरे पर नजर आने लगती है।

14 दिसंबर को स्कूल जा रही थी, बाइक से आए और एसिड फेंक दिया
सुप्रिया दिल्ली के द्वारका में मोहन गार्डन इलाके में रहती है। पिता 14 दिसंबर का दिन याद कर बताते हैं कि दोनों बेटियां 17 साल की सुप्रिया और 13 साल की प्रिया सुबह 7.30 बजे घर से स्कूल के लिए निकली थीं। सुप्रिया का प्री-बोर्ड का हिस्ट्री का पेपर था। कुछ ही मिनट बाद छोटी बेटी भागती हुई आई और बताया कि दीदी के चेहरे पर किसी ने कुछ फेंक दिया है।

पिता आज भी ये बताते हुए कांपने लगते हैं। बताते हैं- ‘जब तक मैं वहां पहुंचा, तब तक लोग बेटी के चेहरे पर पानी डाल चुके थे। इससे एसिड का असर तो कम हो गया, लेकिन तब भी धुआं निकल रहा था। मैं घबरा गया था। मैंने तुरंत बेटी को बाइक पर बिठाया और प्राइवेट अस्पताल ले गया, वहां से उसे दीनदयाल अस्पताल भेज दिया। बाद में उन्होंने सफदरजंग रेफर कर दिया।’

छोटी बहन से कहा- एक-एक इंजेक्शन गिन रही हूं, अब तक 17 लग चुके
ये पूरी घटना लड़की की छोटी बहन प्रिया के सामने हुई थी। प्रिया अभी बहुत डरी हुई है। हालांकि शुक्रवार को प्रिया ICU में अपनी बहन से मिली। उसे पहले ही मम्मी-पापा ने समझा दिया था कि दीदी के सामने खुद को संभालना, बिल्कुल नहीं रोना।

प्रिया कैमरे पर आने के लिए तैयार नहीं हुईं, लेकिन उन्होंने बताया कि मैं दीदी से मिलने ICU में गई, तब उन्हें होश आ चुका था। मैंने उन्हें देखते ही कहा- ‘मैं तुम्हारे लिए इतना रो रही थी और तुम यहां अस्पताल में आराम से बिस्तर पर लेटी हो।’

सुप्रिया ने जवाब दिया- ‘आराम से नहीं लेटी हूं। इंजेक्शन लग रहे हैं, बहुत तकलीफ हो रही है।’

प्रिया ने कहा- ‘तीन दिन में तीन इंजेक्शन लगे होंगे।’

इस पर सुप्रिया ने कहा- ‘मैं एक-एक इंजेक्शन गिन रही हूं। अब तक 17 लग चुके हैं। आगे भी पता नहीं कितने और लगेंगे।’

तेजाब के हमले में सुप्रिया का चेहरा काफी हद तक बच गया है, लेकिन उसकी आंखों को अब भी नुकसान का खतरा है। डॉक्टरों का कहना है कि सुप्रिया की आंखें बच जाएंगीं, लेकिन नुकसान होगा।

तीनों आरोपी पड़ोस में रहने वाले, लड़की से अच्छी दोस्ती थी
सुप्रिया पर जिन लड़कों ने तेजाब फेंका है, वे उसके मोहल्ले में ही रहते थे। पिता ने माना है कि उनसे उसकी दोस्ती थी। सुप्रिया की मां कहती हैं- ‘बेटी ने कभी डर तो जाहिर नहीं किया था, लेकिन पापा को लड़के के बारे में बताया था, फिर उन्होंने उस लड़के को समझाया भी था।’

पुलिस ने एसिड अटैक के आरोपी तीन लड़कों को अरेस्ट कर लिया है। घटना का CCTV फुटेज भी है। पुलिस के मुताबिक, आरोपियों ने ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट फ्लिपकार्ट के जरिए तेजाब खरीदा था। इस मामले में दिल्ली पुलिस ने फ्लिपकार्ट को नोटिस भेजा है।

मुख्य आरोपी सचिन अरोड़ा की उम्र 20 साल है, वह दीवारों पर वॉलपेपर लगाने का काम करता था। उसका साथी हर्षित अग्रवाल 19 साल का है, वह एक कंपनी में पैकिंग का काम करता था। तीसरा आरोपी वीरेंद्र सिंह 22 साल का है और जनरेटर मैकेनिक है। कोर्ट ने 17 दिसंबर को तीनों को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।

सचिन ने अटैक के करीब 20 दिन पहले इसका प्लान बना लिया था। बाद में दोनों दोस्तों को शामिल कर लिया। एसिड फेंकने के लिए वह हर्षित को साथ ले गया था।

फिल्म देखकर किया एसिड अटैक, क्राइम शो देखकर पुलिस से बचने का था प्लान
पुलिस की पूछताछ में पता चला कि आरोपी सचिन को एसिड अटैक का आइडिया एक फिल्म देखते हुए आया था। उसने दोनों दोस्तों को इसमें शामिल किया। इसके बाद लड़की के प्री-बोर्ड एग्जाम की डेट पता की। एसिड के बारे में जानकारी जुटाने के बाद ऑनलाइन ऑर्डर किया। अटैक के बाद पुलिस से कैसे बचा जाए, इसका तरीका उसने एक क्राइम शो से सीखा।

प्लान के मुताबिक, सचिन और हर्षित बाइक से आए और लड़की पर तेजाब फेंका। सचिन और हर्षित का मोबाइल और स्कूटी लेकर वीरेंद्र दूसरी लोकेशन पर चला गया, ताकि जांच हो तो पुलिस गुमराह हो जाए। बाद में इन्हें सबूत के तौर पर पेश किया जा सके, लेकिन CCTV फुटेज के आधार पर पुलिस ने तीनों को गिरफ्तार कर लिया।

‘बेटी ने कभी नहीं बताया कि किसी ने उसे तंग किया हो’
लड़की के पिता बताते हैं- ‘तीनों लड़के हमारे मोहल्ले के ही हैं। पहले उन्होंने कभी बच्ची को तंग नहीं किया था, अगर तंग किया होता तो हम लीगल एक्शन ले चुके होते। पहले वे हमारे मकान में नीचे ही रहते थे, बेटी से बात भी करते थे। ये तो सच है कि बच्चे दोस्त थे, लेकिन किसी वजह से उनकी बातचीत बंद हो गई थी।’

पिता आगे कहते हैं- ‘अब तो हम बस यही चाहते हैं कि बेटी ठीक हो जाए। अभी उसकी आंखों में बहुत जलन है। अभी उसके प्री-बोर्ड एग्जाम चल रहे हैं, एक ही पेपर दिया है। हमें सबसे ज्यादा चिंता उसकी पढ़ाई की है। हम उसकी परीक्षा को लेकर एप्लिकेशन लगाएंगे, फिर देखते हैं क्या होता है।

मेरी बेटी बहुत स्ट्रॉन्ग है, उसे कोई घबराहट नहीं है। वह मुझसे भी कहती है कि पापा क्यों परेशान होते हैं। मैं तो ठीक हो जाऊंगी, लेकिन मेरे साथ ऐसा करने वालों ने अपनी जिंदगी खराब कर ली है।’

पिता बताते हैं कि सुप्रिया ने कभी नहीं सोचा था कि उसके साथ ऐसा होगा। उसे सबसे ज्यादा दुख इस बात का है कि उसके अपने मोहल्ले के, जान पहचान के लड़कों ने उसके साथ ऐसा किया। मुख्य आरोपी से उसकी दोस्ती थी, लेकिन कुछ महीने पहले उसने बात करना बंद कर दिया था।

‘आरोपी एक दिन पहले ही मिला था, नमस्कार भी किया’
सुप्रिया के पिता कहते हैं- ‘बेटी समझ भी नहीं पा रही है कि उस पर एसिड अटैक क्यों हुआ। उसने सिर्फ बोलना बंद किया था, इसके अलावा कोई बात नहीं थी। वह चाहती है कि हमला करने वाले को सजा हो।’

पुलिस को भी जांच में पता चला है कि सचिन और पीड़िता सितंबर तक दोस्त थे। इसके बाद दोनों की बातचीत बंद हो गई। सचिन इसी से नाराज था। हमने आरोपियों के परिवार से बात करने की भी कोशिश की, लेकिन वे अब घर छोड़कर जा चुके हैं।

परिवार के मुताबिक कुछ दिन से सुप्रिया अपने एक दूसरे दोस्त के साथ स्कूल जाती थी। आरोपी सचिन उसके दोस्त पर भी दबाव बना रहा था कि वह सुप्रिया से कहे कि वह उससे बात करे, लेकिन सुप्रिया ने उससे पूरी तरह बात करना बंद कर दिया था।

पिता कहते हैं- ’एक दिन पहले ही वह (आरोपी) मुझसे मिला था और नमस्कार किया था। पहले हम एक ही गली में रहते थे। कुछ महीने पहले हमने दूसरी गली में मकान ले लिया था।’

एसिड अटैक के वक्त आरोपियों ने चेहरा ढंक रखा था, लेकिन पीड़िता की बहन ने कद-काठी से उन्हें पहचान लिया। CCTV फुटेज के आधार पर पुलिस ने उन्हें अरेस्ट कर लिया।
एसिड अटैक के वक्त आरोपियों ने चेहरा ढंक रखा था, लेकिन पीड़िता की बहन ने कद-काठी से उन्हें पहचान लिया। CCTV फुटेज के आधार पर पुलिस ने उन्हें अरेस्ट कर लिया।

सुप्रिया के पिता ने बताया कि एसिड अटैक में ज्यादातर पीड़िताओं का चेहरा खराब हो जाता है और इसका असर उनकी बाकी जिंदगी पर पड़ता है। कई बार लड़कियां डिप्रेशन में भी चली जाती हैं, लेकिन सुप्रिया ने बहुत बहादुरी दिखाई है। हमले के बाद उसने अभी तक एक बार भी चिंता या दुख जाहिर नहीं किया है।

उसने अब तक अपने चेहरे को लेकर कोई बात नहीं की है। आइना लगा है, वो चेहरा देख लेती है, बावजूद इसके वह बिल्कुल नहीं घबरा रही है, उसके चेहरे पर कोई शिकन नहीं है। वो बहुत हिम्मती है और उसे लग रहा है कि वो इससे उबर जाएगी।

पिता के मुताबिक सुप्रिया 12वीं में हैं और आगे कानून की पढ़ाई कर जज बनना चाहती है। 18 दिसंबर को उसका कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट (CLAT) का पेपर है, लेकिन हॉस्पिटल में होने की वजह से वह पेपर नहीं दे पाई।’

‘अब बेटियों को अकेले नहीं जाने देंगे’
हादसे के बाद परिवार डरा हुआ है। खासकर छोटी बेटी की सुरक्षा और मानसिक सेहत को लेकर हम अब भी चिंतित हैं। वह हमले की चश्मदीद है और उसने हमलावरों की पहचान भी की है। मां कहती हैं- ‘हमें हमेशा अपनी बेटियों के लिए डर लगा रहेगा। हम अब कभी उन्हें अकेले नहीं जाने देंगे। कोशिश करेंगे कि स्कूल भी खुद ही छोड़कर आएं। हमारी बेटी गवाह भी है, अब उस पर और ज्यादा खतरा है।’

सुप्रिया के पिता कहते हैं- अब तक पुलिस ने हमारी पूरी मदद की है। इस घटना के बाद लोगों ने भी बहुत सहयोग किया। अभी छोटी बेटी बहुत डरी हुई है। मैं यही चाहता हूं कि इन लड़कों को सख्त सजा मिले, ताकि इस तरह की घटना करने से पहले कोई भी दस बार सोचे। समाज में सख्त संदेश जाना चाहिए। सरकार को एसिड को पूरी तरह बैन कर देना चाहिए।’
(पहचान छिपाने के लिए दोनों लड़कियों के नाम बदले गए हैं।)

देश में एसिड का स्टॉक करने से लेकर बेचने तक के लिए नियम बने हैं, इसके बावजूद ये आसानी से शॉपिंग वेबसाइट पर मिल रहा है, नीचे दिए ग्राफिक्स से जानिए एसिड अटैक पर बने कानून…

देश में एसिड का स्टॉक करने से लेकर बेचने तक के लिए नियम बने हैं, इसके बावजूद ये आसानी से शॉपिंग वेबसाइट पर मिल रहा है, नीचे दिए ग्राफिक्स से जानिए एसिड अटैक पर बने कानून…

दैनिक भास्कर के सौजन्य से

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