क्या आपके भविष्य में झांक कर कोई देख सकता है या भविष्य से संबंधित कोई घटनाक्रम आपको बता सकता है यह सुनते ही हमारा ध्यान अनायास ही भविष्यवक्ता एवं ज्योतिषाचार्य की तरफ पहुंच जाता है लेकिन नहीं आज हम ऐसे व्यक्तित्व के विषय में बात करने वाले हैं जिनका दावा है कि महाभारत काल के संजय की तरह वह आपका भविष्य देखने की क्षमता रखते हैं सप्तऋषि महर्षि सुषैन से मीडिया विद यू की खास बातचीत
जब मीडिया विद यू की टीम सप्तऋषि महर्षि सुषैन लखनऊ गोमतीनगर स्थित 3/114 वास्तु खंड वाले अध्यात्मिक केंद्र पर पहुंची तो वह अपने दूरदराज से आए हुए तमाम अनुयायियों से बातचीत में व्यस्त थे अध्यात्मिक केंद्र का दिव्य वातावरण काफी मनमोहक और शांतिप्रिय होने के कारण स्वयं के अंदर पॉजिटिव ऊर्जा का संचार होने जैसा महसूस होने लगा तभी उनके कर्मचारियों के माध्यम से हमारी सूचना महर्षि तक पहुंचाई गई एवं हमको एक स्वच्छ एवं सुंदर एवं आधुनिक कच्छ में बैठाया गया एवं केंद्र के समुचित व्यवस्थापक द्वारा हमारा व हमारी टीम का आतिथ्य सत्कार जलपान चाय एवं प्रसाद के द्वारा किया गया कुछ पल इंतजार के बाद आखिरकार महर्षि सुसेन से हम रूबरू हुए
- https://youtu.be/4gMxghqOtHc
सप्तऋषि महर्षि सुषैन ने मीडिया विद यू को जानकारी देते हुए बताया कि ज्योतिष हमारे सनातन धर्म शास्त्रों की एक पौराणिक विधा है जो इस आधुनिक युग में भी अपना विशेष महत्व रखती है लेकिन इससे भी पुरातन दिव्य ज्ञान जो कि आपको अपने प्रारब्ध एवं ईश्वरीय कृपा से मिलता है जिसके माध्यम से भविष्य में घटने वाले घटनाक्रम को उसी प्रकार से देखा जा सकता है जिस प्रकार दिव्य ज्ञान के माध्यम से महाभारत काल के संजय ने महाभारत के युद्ध का संपूर्ण चित्रण एवं वृतांत धृतराष्ट्र को सुनाया था इसमें किसी भी प्रकार के चमत्कार या कोई सिद्धि एवं विशेष पूजा का महत्व तथा स्थान नहीं है यह एक ऐसी अवस्था है जिसमें व्यक्ति अपने ज्ञान के माध्यम से भविष्य देखने की उनसे जुड़े हुए घटनाक्रम को देखने की क्षमता विकसित कर लेता है यह प्रारब्ध एवं ईश्वरीय कृपा से हासिल किया जा सकता है और इस ईश्वरीय कृपा को प्राप्त करने के बाद वह लोगों को उनके भविष्य से जुड़े घटनाक्रम के बारे में बतलाते हैं जिससे भविष्य में होने वाले किसी भी हानिकारक घटनाक्रम को समय रहते सुधारा जा सके एवं सही निर्णय लेकर के होने वाली नुकसान से बचा जा सके
वह आगे बताते हैं कि यदि इस प्रकार की कोई भी दिव्य अनुभूति या ज्ञान ईश्वर कृपा से किसी को भी प्राप्त हो जाए तो वह अपना जीवन इन्हीं मानवीय मूल्यों मैं लगा कर लोगों के जीवन में आने वाली परेशानियों के प्रति पहले से ही उन्हें सावधान कर सकता है साथ ही साथ उन्होंने समाज में फैली हुई कुरीतियां तथा ज्योतिष एवं सिद्धि के माध्यम से बढ़ते बाजार बाद की कटु आलोचना की है और कहां है कि इसमें पाखंडवाद की कोई गुंजाइश नहीं है और उन्होंने कहा है कि जब बात अध्यात्म की हो तो सभी धर्म वोने नजर आते हैं और जहां तक धर्म की बात है तो मानव धर्म सबसे बड़ा है तथा हमको होने वाली अनुभूति केवल और केवल ईश्वरीय प्रेरणा का आधार है एवं उन्हीं के माध्यम से हम इसको संचारित करते हैं तथा इसमें कोई सिद्धियां विशेष पूजा या तंत्र मंत्र का स्थान नहीं है
आस्तिक एवं नास्तिक के बीच की बारीकी अंतर को समझाते हुए उन्होंने कहा है कि नास्तिक सबसे बड़ा आस्तिक होता है नास्तिक खुद में विश्वास रखता है अर्थात जीवात्मा में विश्वास रखता है और जीवात्मा कभी भी परमात्मा से अलग अस्तित्व बना ही नहीं सकता जीवात्मा परमात्मा का ही घटक है इसलिए जो परमात्मा में विश्वास नहीं रखता अपने आप में विश्वास रखता है लिहाजा सभी प्रकार से वह परमात्मा पर ही आश्रित होता है अर्थात सेल्फ कॉन्फिडेंस के सिद्धांत को बढ़ावा देना भी परमात्मा क मार्ग का ही एक रास्ता है इसको उन्होंने एक उदाहरण के साथ भी समझाया उन्होंने बताया कि हमारे पास आने वाले सभी जनों की समस्या का समाधान हम अपने संपूर्ण सामर्थ्य ज्ञान से करते हैं और करते रहेंगे