October 26, 2024 |

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रुद्राक्ष धारण करने से मिलते हैं शुभ फल लेकिन धारण करने का तरीका जरूर जान ले

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सनातन धर्म के सभी ग्रंथों सहित पुराणों आदि में भगवान शिव के प्रिय रुद्राक्ष के महत्व को अभिव्यक्त किया गया है जिनसे हमें रुद्राक्ष के आकार प्रकार एवं उनसे मिलने वाले फलों तथा धारण करने की सही विधि का ज्ञान प्राप्त होता है रुद्राक्ष का उच्चारण मात्र ही सभी फलों का देने वाला होता है कहते हैं इसके नाम को जपने से 10 गायों को दान देने के समान फल प्राप्त होता है

रुद्राक्ष पहन कर सभी भक्तों के कष्ट दूर हो जाते हैं और उनको अपने मनोकामना की प्राप्ति होती है रुद्राक्ष को धारण एवं जो अपने से करोड़ों लोगों की प्राप्ति होती है जब कोई साधक रुद्राक्ष पहन कर अभीष्ट मंत्रों का जप करता है तब उसक मनोरथ सुलभ होने लगते हैं रुद्राक्ष पहनकर शिव मंत्रों का जप एवं शिव पूजन अत्यंत लाभदायक सिद्ध होता है ध्यान रहे यह सब मनोरथ तभी सिद्ध होते हैं जो रुद्राक्ष को धारण करने की विधि त्रुटि विहीन की जाए शिव पुराण व अन्य धर्म ग्रंथों का सार लेते हुए धारण करने की विधि पर प्रकाश डाला गया है आइए जानते हैं

रुद्राक्ष को धारण करना एक महत्वपूर्ण कार्य होता है इसको धारण करने से पूर्व कुछ पवित्र नित्यकर्म किए जाते हैं जिसके पश्चात रुद्राक्ष अभिमंत्रित हो धारण यह उपयोग करने योग्य हो जाता है सर्वप्रथम याद रखने योग्य विषय है की जवाब रुद्राक्ष की माला रुद्राक्ष जो भी धारण करें उसे शुक्ल पक्ष के सोमवार को ग्रहण करना चाहिए

सर्वप्रथम धारण करने से पूर्व रुद्राक्ष को सरसों के तेल में 5 से 7 दिन भिगोकर रखना चाहिए तत्पश्चात रुद्राक्ष को गंगाजल एवं गाय के दूध के साथ स्नान कराएं तथा साथ ही साथ पंचामृत एवं पंचगव्य से भी स्नान कराएं और इसके साथ ही पंचाक्षर मंत्र ओम नमः शिवाय का जाप करते रहे इस विधि से अभिमंत्रित कर धूप दीप बिल पत्र लाल चंदन एवं लाल फूल पूजन करें तथा शिवलिंग से स्पर्श कराकर हवन की भभूति लगाएं पूर्व या उत्तर की दिशा में मुख करके दिए गए मंत्र का उच्चारण करते हुए धारण करें ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि धीमहि तन्नो रुद्र रुद्राक्ष की मांगों को शुद्ध लाल धागे में पिरो कर धारण करना उत्तम रहता है: रुद्राक्ष को पूर्णिमा संक्रांति ग्रहण या अमावस्या के दिन धारण करने से विशेष लाभ की प्राप्ति होती है शिव पुराण के अनुसार रुद्राक्ष के आधार को ब्रह्मदेव माना गया है जबकि नाभि को विष्णु भगवान का स्थान दिया गया है एवं चेहरे को रुद्र माना गया है और प्रत्येक क्षेत्र में कोटि कोटि देवताओं का वास कहां गया है इसलिए रुद्राक्ष को सही विधि पवित्रता शुद्धता और जान के साथ धारण करने से जीव के कष्ट दूर होते हैं और सुख में जीवन प्राप्त होता है साथ ही साथ रुद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति को शुद्ध आचार विचार के साथ साथ सात्विक भोजन का भी ध्यान रखना होगा

सौजन्य से आचार्य नारायण कुमार दीक्षित नैमिषारण्य सीतापुर

 


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