उत्तर प्रदेश योगी सरकार ने कई विभागो में तबादलों को लेकर नए निर्देश जारी किए हैं। पीडब्ल्यूडी, स्वास्थ्य और शिक्षा विभाग में तबादलों को लेकर अलग अलग निर्देश आए हैं। इनमें स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों को झटका लगा है।
इस साल बंपर तबादलों की उम्मीद नहीं है। स्वास्थ्य विभाग के विशेष सचिव डा. मन्नान अख्तर ने इस संबंध में सोमवार को महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य डा. रेनू श्रीवास्तव वर्मा को पत्र भेजा है। निर्देश दिए गए हैं कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर तैनात लेवल-एक प्रभारी चिकित्साधिकारियों तथा अन्य चिकित्सकों, जिनको जिले में 5 और मंडल में 8 साल पूरे हो गए हों, उनकी नीति के तहत परीक्षण करते हुए स्थानांतरण करें।
विशेष सचिव डा. मन्नान ने लेवल-एक से ऊपर के जिले में 5 व मंडल में 8 साल पूरे करने वाले चिकित्साधिकारियों के तबादला प्रस्ताव परीक्षण कर शासन को भेजने के निर्देश दिए हैं। वहीं दूसरी ओर चिकित्सकों व कर्मचारियों के लिए थोड़ी राहत भरी खबर यह है कि इस बार विभाग में बंपर तबादले होने की ज्यादा संभावना नहीं है।
लंबे समय से जमे अपर मुख्य चिकित्साधिकारियों (एसीएमओ), डॉक्टरों और छोटे अस्पतालों में तैनात विशेषज्ञ चिकित्सकों के तबादले किए जाने पर विचार हो रहा है ताकि इन विशेषज्ञ चिकित्सकों का सही जगह उपयोग हो सके। इसके अलावा तबादला चाहने वाले के प्रत्यावेदनों पर भी विचार किया जाएगा।
दरअसल, पिछले साल स्वास्थ्य विभाग में विभिन्न लेवल पर चिकित्साधिकारियों और विभाग के विभिन्न संवर्गों में कार्यरत कर्मचारियों के बड़े पैमाने पर तबादले किए गए थे। इसके बाद तमाम जिलों में चिकित्सा व्यवस्था चौपट हो गई थी। तबादला नीति को लेकर आंदोलन कर रहे स्वास्थ्य कर्मियों ने भी महानिदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य डा. रेनू वर्मा श्रीवास्तव से वार्ता के बाद आंदोलन फिलहाल स्थगित कर दिया है।
असाध्य व गम्भीर रोगों के गलत सर्टिफिकेट पर तबादला चाहने वाले शिक्षकों पर कार्रवाई की तैयारी
असाध्य अथवा गम्भीर रोगों के गलत सर्टिफिकेट लगाकर तबादले की चाह रखने वाले प्राइमरी शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी है। मेडिकल बोर्ड द्वारा अमान्य घोषित ऐसे शिक्षकों पर जल्द ही गाज गिर सकती है। कारण, अन्तर्जनपदीय तबादले के लिए गलत मेडिकल सट्रिफिकेट लगाकर आवेदन करने वाले ज्यादातर शिक्षकों की मेडिकल बोर्ड के सामने कलई खुल गई है। करीब 46 जिलों में ऐसे प्रकरण सामने आए हैं। इनमें कई जिले तो ऐसे हैं, जहां दो तिहाई से ज्यादा आवेदन गलत सर्टफिकेट के कारण निरस्त किए गए हैं।
शाहजहांपुर में ही 200 शिक्षकों ने स्वयं को असाध्य रोगों से पीड़ित बताकर दूसरे जिलों में स्थानांतरण मांगा था। मेडिकल बोर्ड के सामने पेश होने पर जब इनकी चिकित्सीय जांच हुई तो 145 शिक्षकों के दावे गलत निकले। इन्हें कोई असाध्य रोग नहीं था। इसी प्रकार से सोनभद्र में 62 शिक्षकों ने असाध्य एवं गम्भीर रोगों से पीड़त बताकर गैर जिलों में अपना स्थानांतरण मांगा था। जब चिकित्सीय जांच हुई तो 49 शिक्षक या उनके कोई निकटतम परिजन किसी भी असाध्य या गम्भीर रोग से पीड़ित नहीं पाए गए।
इसके अलावा हरदोई, इटावा, झांसी, अलीगढ़, मुरादाबाद, शामली, अमरोहा, बदायूं, बस्ती, चन्दौली, मिर्जापुर, बलिया तथा गोण्डा आदि जिलों में ऐसे तमाम मामले सामने आए हैं, जहां बड़ी संख्या में शिक्षकों ने गलत सर्टफिकेट लगाकर शिक्षकों ने अन्तर्जनपदीय स्थानांतरण के लिए आवेदन किया है।
बताया जाता है कि जिलों से मिली शिकायतों के बाद स्कूल महानिदेशालय से इस बारे में सभी जिलों से ऐसे शिक्षकों की सूची मांगी गई है, जिन्होंने अपने तबादले के लिए गलत सर्टिफिकेट का इस्तेमाल किया है। सूत्र बताते हैं कि स्कूल महानिदेशालय ने इस बारे में आज ही शासन को पत्र भेजकर शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई के लिए दिशा-निर्देश मांगा है।
अगर शासन की सहमति मिलती हैं तो ऐसे शिक्षकों को खिलाफ विभाग कार्रवाई करेगा। महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरण आनन्द के अनुसार जांच चल रही हैं । दोषी पाये जाने पर कार्रवाई की जाएगी।
पीडब्ल्यूडी में एई की तबादला सूची पर आईं कई आपत्तियां
लोक निर्माण विभाग में सहायक अभियंता (सिविल) की तबादला सूची में दर्जनों आपत्तियां सोमवार को दर्ज कराई गईं। आठ आपत्तियां तो उन एई ने दर्ज कराएं जिनका तबादला पिछले ही साल किया गया था। दो साल के अंदर सेवानिवृत्त होने वाले 56 एई में से सिर्फ तीन एई ने ही तबादले का विकल्प दिया। शेष बचे एई ने ऐच्छिक तैनाती का विकल्प भरा।
संघ की आपत्ति के बाद दो साल में सेवानिवृत्त मिलने वालों को मिली राहत
सोमवार को विश्वश्वरैया सभागार में तबादला सूची में शामिल 136 सहायक अभियंताओं को बुलाया गया था। तबादला सूची की खामियों को लेकर उत्तर प्रदेश डिप्लोमा इंजीनियर्स संघ पीडब्ल्यूडी के अध्यक्ष एनडी द्विवेदी की आपत्तियों को गंभीरता से लेते हुए मंत्री जितिन प्रसाद ने दो साल के अंदर सेवानिवृत्त होने वाले एई को तबादला सूची से बाहर करने का आदेश दे दिया। एनडी द्विवेदी ने बताया है कि मंत्री के हस्तक्षेप के बाद दो साल के अंदर सेवानिवृत्त होने वाले एई में से महज तीन ने ही ऐच्छिक विकल्प में हिस्सा लिया।