December 4, 2024 |

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जोशीमठ के पास बदरीनाथ हाईवे पर आई दरारें, चार धाम यात्रा से पहले बढ़ी मुश्किल

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केदारनाथ धाम के कपाट खुलने के ऐलान के साथ ही जोशीमठ के पास बदरीनाथ हाईवे से लगने वाली सड़कों पर दरारें पाई गई है. यह दरारें जेपी और मारवाड़ी के पास पाई गई. चमोली के डीएम हिमांशु खुराना ने कहा कि बदरीनाथ हाईवे पर जेपी से मारवाड़ी तक सड़क में दरारें आ गई हैं जिससे“सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) को दरारों की जांच करने और जरूरी उपाय करने के निर्देश दिए गए हैं

चमोली के डीएम खुराना के मुताबिक, लोगों ने ”कुछ घरों में भी दरारें आने की शिकायत की.” उन्होंने कहा, “जोशीमठ में तैनात इंजीनियरों की एक टीम घरों में दरारों का परीक्षण करने के लिए भेजी गई है, ताकि असल वजह का पता चल सके. जोशीमठ में कई घरों में दरारें दिकाई देने के बाद सैकड़ों लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया था, जहां जमीन भी धंसने लगी थी. इससे प्रशासन और सरकार की मुश्किलें बढ़ गई थी, जहां उत्तराखंड सरकार ने प्रभावित लोगों के लिए करोड़ों रुपए के राहत पैकेज का ऐलान किया

आपको बता दें कि जनवरी में, आई दरारों के कारण जोशीमठ में अपने घरों से विस्थापित हुए लोगों के लिए राहत पैकेज की जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि पर्वतीय राज्य में दरारें और जमीनें धंसने की घटनाओं से प्रभावित लगभग 3000 परिवारों के लिए राहत पैकेज जारी किया गया है. मुख्यमंत्री ने यह भी ऐलान किया कि स्टेट डिजास्टर अथॉरिटी द्वारा प्रभावित प्रत्येक परिवार को 50 हजार रुपए की तत्काल मदद दी गई. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जोशीमठ में स्थिति पर चिंता व्यक्त की थी और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ टेलीफोन पर बातचीत के दौरान राहत और बचाव के लिए राज्य प्रशासन को हर संभव मदद का आश्वासन दिया था

बदरीनाथ धाम चार प्राचीन तीर्थ स्थलों में से एक है जिसे ‘चार धाम’ कहा जाता है जिसमें यमुनोत्री, गंगोत्री और केदारनाथ भी शामिल हैं. यह उत्तराखंड के बदरीनाथ शहर में स्थित है. यह हर साल छह महीने (अप्रैल के अंत और नवंबर की शुरुआत के बीच) के लिए खुला रहता है. महाशिवरात्रि के मौके पर यह ऐलान किया जाता है कि केदारनाथ धाम के कपाट कब खुलेंगे. केदारनाथ मंदिर समिति ने ऐलान किया कि इस बार 25 अप्रैल को कपाट खुलेंगे और 14 नवंबर तक बंद कर दिए जाएंगे. देशभर के सैकड़ों श्रद्धालु यहां दर्शन को पहुंचते हैं. इन दरारों की घटनाओं के बीच श्रद्धालुओं की सुरक्षा सबसे बड़ी चिंता की बात है


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